देश में सड़क दुर्घटनाओं एवं उनसे होने वाली मौतों में 2030 तक 50 प्रतिशत कमी लाकर 2047 तक राष्ट्र को सड़क हादसों रहित बनाने की जरूरत को संकल्प के रूप में लेना होगा। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा घोषित प्रथम सड़क सुरक्षा दशक (2011-2020) में सभी देशों को 50 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाओं एवं उनसे होने वाली मौतों को कम करने का लक्ष्य दिया था। 2010 में भारत में 1.34 लाख लोगों की सड़क हादसों में मृत्यु हुई थी।
कोरोना काल 2020 में यह आंकड़ा 1.32 लाख का रहा। यूएनओ द्वारा लक्ष्य प्राप्ति के लिए पुनः द्वितीय सड़क सुरक्षा दशक (2021-2030) घोषित किया गया। लेकिन दूसरे दौर के चार साल गुजरने के बावजूद हालात बेहतर नहीं हुए। इस दौरान भारत में औसतन सालाना 1.81 लाख तो राजस्थान में 11 हज़ार 700 मौतों का आंकड़ा दर्ज किया गया।
संस्कृत के एक श्लोक का सारांश है कि हमारा मन चालक है, शरीर वाहन है तथा जीवन यात्रा सड़क है। अतः जीवन यात्रा रूपी सड़क एवं शरीर रूपी वाहन को सुरक्षित बनाने के लिए मन रूपी चालक को इन्द्रियों के माध्यम से नियंत्रित करना है। राज्य सड़क सुरक्षा नीति, समर्पित सड़क सुरक्षा कोष, लीड़ एजेन्सी, राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा परिषद/राज्य सड़क सुरक्षा परिषद/संसद सदस्य सड़क सुरक्षा समिति/जिला सड़क सुरक्षा समिति होने के बावजूद हम सड़क दुर्घटनाओं एवं उनसे होने वाली मौतों को कम नहीं कर पा रहे हैं।
विश्व में सड़कों की लम्बाई में अमेरिका के बाद भारत दूसरे स्थान पर है। राष्ट्रीय राजमार्गों की लम्बाई भी इस अवधि में लगभग दोगुनी होने के बावजूद राष्ट्रीय राजमार्गों पर मौतों का आंकड़ा 40 प्रतिशत पहुंच गया है।
सड़क दुर्घटनाओं एवं उनसे होने वाली मौतों में कमी लाने के लिए देशभर में ग्राम पंचायत एवं म्यूनिसिपल वार्ड स्तर तक ‘सुरक्षित भारत’ मिशन की आवश्यकता है। सड़क दुर्घटनाओं एवं उनसे होने वाली मौतों को वर्ष 2030 तक 50 प्रतिशत तथा वर्ष 2047 तक शून्य करना है।