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भाजपा में जिलाध्यक्ष की कुर्सी पाना आसान नहीं, अलवर में दो नामों पर ज्यादा सहमति

भाजपा के संगठनात्मक चुनाव में जिलाध्यक्ष पद को लेकर ज्यादातर जिलों में पेंच फंस गया है। अलवर में भी यही स्थिति बन रही है।

अलवरJan 11, 2025 / 03:01 pm

Suman Saurabh

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अलवर। भाजपा के संगठनात्मक चुनाव में जिलाध्यक्ष पद को लेकर ज्यादातर जिलों में पेंच फंस गया है। बड़े नेता अपने चहेतों को कुर्सी पर बैठाना चाहते हैं। अलवर में भी यही स्थिति बन रही है। आठ दावेदारों में 2 के नामों पर सहमति ज्यादा है। राष्ट्रीय महामंत्री संगठन बीएल संतोष भी 12 जनवरी को जयपुर आ रहे हैं।
संगठन में पहले बूथ अध्यक्षों की घोषणा की गई। उसके बाद मंडल अध्यक्ष बनाए गए। 30 में से 18 मंडल अध्यक्षों के कार्यभार संभाल लिया है, लेकिन 12 के नाम सामने नहीं आए। सीनियर नेताओं का कहना है कि अब इन मंडल अध्यक्षों की घोषणा प्रांतीय कमेटी के चुनाव के बाद ही संभव दिख रही है। 50 फीसदी मंडल अध्यक्षों की घोषणा हो जाती है तो जिलाध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होती है। ऐसे में यहां 18 मंडल अध्यक्ष बना दिए गए हैं।

जिलाध्यक्ष के लिए इनके नाम आए सामने 

जिलाध्यक्ष के लिए वर्तमान अध्यक्ष अशोक गुप्ता, पूर्व अध्यक्ष संजय नरुका के अलावा पूर्व विधायक बनवारी लाल सिंघल, पवन जैन, दिनेश गुप्ता, हरीशंकर खंडेलवाल, गोवर्धन सिंह सिसोदिया, रामोतार चौधरी आदि के नाम सामने आ रहे हैं। इनमें दो चेहरों के लिए आमराय ऊपर तक पहुंची है। उन्हीं में से एक का चयन होना है। बताते हैं कि कुछ गुट अपने चेहरे को सीट पर लाने के लिए जयपुर में सिफारिश कर रहे हैं।

विधायकों के दखल से मंडल अध्यक्षों के नाम पूरे घोषित नहीं

पार्टी के एक नेता का कहना है कि मंडल अध्यक्षों के नाम सभी घोषित हो जाते, लेकिन कुछ विधायकों को नामों को लेकर आपत्ति थी। उनके दखल से 12 नाम घोषित नहीं हो पाए। बड़े नेताओं का दखल संगठन में नहीं होना चाहिए। अपनी बात जरूर रखें, लेकिन संगठन का निर्णय उन्हें स्वीकार करना चाहिए।

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