सिलीसेढ़ झील का पानी अलवर शहर में लाने का विरोध कर रहे हजारों किसानों ने गुरुवार को 300 ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के साथ अलवर कूच किया। किसानों का हुजूम मिनी सचिवालय का घेराव करने के इरादे से सिलीसेढ़ तिराहे से रवाना हुआ। किसानों को प्रशासन ने अहिंसा सर्किल (बाई पैड़ी) पर रोक लिया। कुछ युवा किसान बेरिकेडिंग पार करने की कोशिश करते रहे, लेकिन पुलिस ने उन्हें नीचे उतार दिया। इसके बाद किसानों ने वहीं पर पड़ाव डाल दिया और सभा की। प्रशासन किसानों को मनाने में दिनभर जुटा रहा। इसके लिए दो बार वार्ता हुई, लेकिन विफल रही।
शाम को जिला कलक्टर आर्तिका शुक्ला के साथ किसानों की वार्ता हुई। इसमें आश्वासन मिलने के बाद किसान यहां से लौट गए। बाई पैड़ी पर 7 घंटे तक प्रदर्शन करने के बाद किसानों ने दावा किया कि प्रशासन ने उन्हें आश्वस्त किया है कि सिलीसेढ़ में फिलहाल बोरिंग नहीं होगी। उधर, जिला कलक्टर ने कहा कि किसानों का मांग पत्र सरकार को भेजेंगे, वहीं से निर्णय होगा।
इधर, अलवर से लौटते समय किसान नेताओं इसे किसानों की जीत बताते हुए धरना समाप्त करने की घोषणा की और जश्न मनाया। आंदोलनकारी किसानों का नेतृत्व किसान नेता प्रेम पटेल, वीरेंद्र मौर, रामजीलाल, भोला राम, सपाट मैनेजर आदि कर रहे थे।
मांगों के समाधान के लिए 3 घंटे तक नहीं आया ड्राफ्ट
किसान नेताओं ने कहा कि बोरिंग करने का प्रस्ताव निरस्त नहीं किया जा रहा है, जबकि कई बार वार्ता हो चुकी है। अब किसान चुप बैठने वाला नहीं है। यह एक ट्रायल है। आगे और उग्र प्रदर्शन करेंगे। किसानों ने प्रशासन को आधे घंटे में ज्ञापन लेकर समस्या समाधान के लिए ड्राफ्ट तैयार करके मांगा। मौका मजिस्ट्रेट योगेश डागुर, एसडीएम अलवर यशार्थ शेखर ने किसानों को ड्राफ्ट जारी करवाने का आश्वासन दिया, लेकिन प्रशासन की ओर ड्राफ्ट शाम चार बजे तक नहीं आया।
प्रशासन ने संदेश किसानों को भेजा कि वह जिला कलक्टर के साथ आकर वार्ता कर लें। लेकिन किसान नहीं गए। आखिर में एडीएम सिटी बीना महावर धरना स्थल पर पहुंचीं। उनके साथ प्रतिनिधि मंडल मिनी सचिवालय आया। किसानों की मांगों पर सहमति जताई गई। शाम को किसान नेता प्रेम पटेल ने किसानों से प्रदर्शन स्थल पर धरना खत्म करने के लिए कहा और किसान अपने घरों को लौट गए।
रोडवेज बसों को बदले मार्ग से चलाया, ट्रैक्टरों से 7 घंटे मार्ग जाम
जयपुर मार्ग से वाहन अलवर शहर आते हैं, लेकिन प्रशासन ने किसानों के प्रदर्शन के चलते मार्ग डायवर्ट कर दिया। रोडवेज की बसों समेत अन्य वाहन नहीं आने दिए गए। दोपहिया वाहन चालकों को भी नहीं जाने दिया। ट्रैक्टर रोड पर ही खड़े रहे। कई किमी लंबा जाम जैसा माहौल रहा।
सरकार को भेजी रिपोर्ट
पंजाब के किसान आंदोलन की तरह यह प्रदर्शन किसान चलाने लगे तो प्रशासन खतरा भांप गया। कहीं आंदोलन बड़ा न हो जाए, इसलिए प्रशासन ने किसानों की मांगों पर सहमति जताते हुए पूरी स्थिति के बारे में सरकार को अवगत कराया है।
सड़क पर किया भोजन
किसान दोपहर दो बजे तक प्रदर्शन करते रहे। उसी दौरान बारिश आ गई। कुछ देर बाद भूख लगी तो किसानों ने खाने का प्रबंध किया और सड़क पर भोजन किया। शाम के खाने का भी वह इंतजाम करने लगे थे। उन्होंने प्रशासन से कह दिया था कि वह अपनी मांगों को मनवाए बिना नहीं लौटेंगे। इससे प्रशासन पर दबाव आ गया।
कोई पेड़ पर, तो कोई छत पर चढ़ा
प्रदर्शन के दौरान कुछ किसान पेड़ पर चढ़ गए, तो कुछ ने आसपास की छतों पर चढ़कर नारे लगाने की कोशिश की। हालांकि प्रशासन ने प्रदर्शन उग्र नहीं होने दिया। अधिकारियों ने किसानों को शांत करने के लिए हर संभव प्रयास किए।
बाजार बंद रहे
प्रदर्शन के दौरान कोई अप्रिय घटना नहीं हो, इसके लिए उमरैण, सिलीसेढ़ तिराहा और ढाई पैढ़ी पर बाजारों को बंद करवाया गया। वहां बैठे लोगों को भी हटा दिया गया। हालांकि किसान नेताओं ने धैर्य बरता, इसके चलते आंदोलन शांतिपूर्वक संपन्न हो गया।
21 दिन से आंदोलन
अलवर में पानी लाने की योजना के तहत सिलीसेढ़ में 35 बोरिंग किए जाने हैं। कुछ दिन पहले जब टीम बोरिंग करने पहुंची थी, तब किसानों ने बोरिंग नहीं करने दी। इसके बाद सिलीसेढ़ तिराहे पर 21 दिन से किसान व ग्रामीण धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं।
किसानों के साथ सकारात्मक बैठक हुई। उनकी ओर से जो मांग पत्र हमें दिया गया, हमने सरकार को भेज दिया है। सरकार अपने स्तर से जो भी निर्णय लेगी, उस पर हम काम करेंगे।
–आर्तिका शुक्ला, जिला कलक्टर प्रशासन ने कह दिया है कि सिलीसेढ़ में बोरिंग नहीं की जाएगी, इसका दूसरा विकल्प देखेंगे। यह प्रस्ताव सरकार को भेजा है, इसलिए धरना-प्रदर्शन खत्म कर दिया गया है। यह किसानों की जीत है।