अमित के नाबालिग साथी ने बताया, पुलिस ने थाने के लॉकअप में दोनों को बहुत मारा-पीटा और 16 चोरी के मामलों को कबूल कराने के लिए दबाव डाला। उसने कहा कि अमित को चार बार दूसरे कमरे में ले जाकर पीटा गया और उसके प्राइवेट पार्ट्स के बाल तक उखाड़ दिए गए।
बिस्किट लेने निकला तो पुलिस ले गई
नाबालिग के मुताबिक, सात जुलाई की शाम वह घर से बिस्किट लेने निकला था। तभी पुलिस उसे गाड़ी में बैठाकर ले गई। उसे एक निर्माणाधीन मकान पर ले जाकर कबाड़ चोरी के बारे में पूछा गया। तीन घंटे बाद अमित को भी लाकर लॉकअप में बंद कर दिया गया।
नाबालिग ने पुलिस पर क्या लगाया आरोप
नाबालिग का आरोप है कि उसने पुलिस से कहा कि वह नाबालिग है, लेकिन फिर भी उसकी उम्र 19 साल लिखकर लॉकअप में रखा गया और पीटा गया। आठ जुलाई को उसकी नानी ने जमानत कराई। पुलिस ने फिर दोनों को अगले दिन थाने बुलाया। नाबालिग अपना सामान ले आया, लेकिन अमित का मोबाइल और पर्स पुलिस ने नहीं लौटाया और अगले दिन आने को कहा।
अमित के परिजनों ने क्या बताया
अमित परिजनों के मुताबिक, इसी मानसिक दबाव में उसने नौ जुलाई को जहर खा लिया। अमित की दादी ने आरोप लगाया कि पुलिस ने FIR से दोषी पुलिसकर्मियों के नाम हटवाने का दबाव बनाया। उनका यह भी आरोप है कि पुलिस ने अमित का मोबाइल, पर्स और बाइक तक नहीं लौटाई।
कोर्ट में भी पेश की पुलिस
नाबालिग ने यह भी कहा कि पुलिस ने उसे शांतिभंग के आरोप में SDM कोर्ट में पेश किया। जबकि किशोर न्याय अधिनियम के अनुसार, उसे किशोर न्याय बोर्ड के सामने पेश करना चाहिए था। नाबालिग को लॉकअप में रखना और टॉर्चर करना कानून के खिलाफ है।
नाबालिग को लॉकअप में रखना नियमों के खिलाफ
अलवर की एडिशनल SP (ग्रामीण) डॉ. प्रियंका ने कहा, नाबालिग को लॉकअप में रखना नियमों के खिलाफ है। मामले की जांच थाने के CCTV कैमरों से कराई जाएगी और जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
पहले क्या हुआ था- सुसाइड नोट मिला
अमित के परिवार वालों ने बताया कि उन्होंने पुलिस को अमित का हाथ से लिखा हुआ सुसाइड नोट दिया है। यह नोट उसकी डायरी के पन्ने पर लिखा है। इसमें ऊपर लिखा है कि “मुझे मारने के पीछे इन लोगों का हाथ है” और नीचे कुछ लोगों के नाम लिखे हैं- दिनेश राव, आशाराम, मनदीप के पास, अनिस खान टेल्को सर्किल, नितिन टेल्को सर्किल, गुरमीत सदर थाना, मनजीत सदर थाना, फूलसिंह सदर थाना। नोट के अगले पन्ने में लिखा है- “मुझे इंसाफ दिलाना भोले के हाथ में है।”
पिछले साल हुई थी शादी
अमित अपने दो भाइयों में सबसे बड़ा था और उसकी एक बहन भी है। उसकी शादी पिछले साल ही हुई थी। पहले वह शहर के एक निजी अस्पताल में गार्ड की नौकरी करता था, लेकिन पिछले 3-4 महीने से वह बेरोजगार था। उसके पिता मिस्त्री (चिनाई का काम) करते हैं।सदर थाना प्रभारी का बयान- मारपीट के आरोप झूठे हैं
सदर थाना प्रभारी रमेश सैनी ने कहा था कि गश्त के दौरान शालीमार इलाके में दो युवक संदिग्ध हालत में मिले। उन्होंने अपना नाम अमित सैनी और शिवलाल राजपूत (निवासी शिवाजी पार्क) बताया। दोनों को शांतिभंग के आरोप में पकड़ा और थाने लाया गया। अमित नशे में था। पुलिस ने दोनों से कोई मारपीट नहीं की। दोनों को उसी दिन कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें जमानत मिल गई।