रामगढ़ थानाधिकारी विजेन्द्र सिंह ने बताया कि आरोपियों द्वारा बनाई गई वेबसाइट पर प्रतिदिन बडी संख्या में सट्टा लगाने के कारण काफी संख्या में राशि एकत्रित होती है। जिसे अलग-अलग लोगों से उनके बैंक अकाउंट किराए पर लेकर उनमें राशि डलवाते थे। इसके बदले में खाताधारक को कमीशन दिया जाता था। साथ ही उक्त राशि को वैध बनाने के लिए आरोपियों ने 2 फर्म भी बना रखी थी। जिनके जीएसटी युक्त खातों में पैसा ट्रांसफर कर देते थे। जब उनकी लिमिट पूरी हो जाती तो आरोपी अन्य फर्मों से भी कमीशन के आधार पर जीएसटी युक्त खातों का उपयोग कर उनमें रुपए डलवाते थे।
ऐसे होता था पूरा खेल:आरोपियों द्वारा बनाई गई वेबसाइट पर लूडो एवं सट्टा खेलने से पहले ग्राहकों का रजिस्ट्रेशन किया जाता है। इसके लिए आधार कार्ड एवं उससे लिंक मोबाइल नंबर पर ओटीपी प्राप्त कर उसका सत्यापन किया जाता था। ताकि कोई अवांछित व्यक्ति वेबसाइट का एक्सेस प्राप्त ना कर सके। वहीं, रजिस्टर्ड व्यक्ति अन्य व्यक्तियों को सट्टा लगाने के लिए रेफरल लिंक भेज सकता है। किसी व्यक्ति के रेफरल लिंक के आधार पर जुड़ा हुआ व्यक्ति जब भी उक्त वेबसाइट पर कोई धनराशि जीतता तो उसका दो प्रतिशत कमिशन रेफर करने वाले व्यक्ति को मिलता है। इस तरह यह एक चेन सिस्टेम की तरह काम करता है। जब कोई व्यक्ति उक्त सट्टे में बड़ी राशि जीत जाता तो उसे उस राशि का भुगतान नहीं किया जाता है और बेवसाइट के एडमिन की जानकारी के अभाव में वह व्यक्ति अपने पैसे वापिस नहीं ले पाता। क्योंकि उसे फर्जी वेबवाइट के कारण से यह जानकारी ही नही मिल पाती कि सट्टा कौन खिला रहा है।