पारंपरिक फसलों से हटकर क्षेत्र का किसान अब नई तरीके से खेती के गुरु सीख रहा है। क्षेत्र में बड़ी संख्या में ऑर्गेनिक ओर तकनीकी खेती कर किसान पिछले कई सालों से अच्छी आमदनी कर रहे हैं। खेती के कार्य में अब शिक्षित किसान भी आ रहे हैं। पिछले कई सालों से किसानों ने सब्जी एवं अन्य कई तरह के फल-फ्रूट की खेती भी कर रहे हैं। वहीं क्षेत्र का किसान अब काले गेहूं की खेती में भी लगा हुआ है। इसका रकबा बढ़ाने के साथ उत्पादन क्षमता में भी वृद्धि होती हैं। काले गेहूं को स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक माना जाता है। काले गेहूं की रोटी को भी चिकित्सक अब खाने की सलाह दे रहे हैं।
जिला अस्पताल कोटपूतली के फिजिशियन डॉ. सुगन चंद्र ने बताया हार्टअटैक और बीपी में काले गेहूं की आटे से बनी रोटी बेहद फायदेमंद होती है। इसके अलावा काला गेहूं बीपी और हाई ब्लड शुगर में भी यह औषधि के रूप में काम करता है, लंबे रिसर्च के बाद वैज्ञानिकों ने काले गेंहू को विकसित किया है। अभी तक पास के ही राज्य हरियाणा में काले गेहूं का उत्पादन होता हैं।
क्षेत्र के जागरूक किसान जयराम पूनिया ने बताया कि काले गेहूं की प्रजाति, एक विशेष प्रकार का गेहूं है। जिसका रंग काला व गहरा बैंगनी होता है। यह रंग एंथोसायनिन नामक एक प्राकृतिक रंगद्रव्य के कारण होता है, जो इसे पारंपरिक गेहूं से अलग बनाता है। काले गेहूं में एंटीऑक्सिडेंट और अन्य पोषक तत्वों की मात्रा अधिक होती है। गेहूं की इस प्रजाति को नेशनल एग्री-फूड बायोटेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट मोहाली पंजाब में विकसित किया गया है।
जिसे अब बानसूर में भी रामनिवास पूनिया जैसे जागरूक किसान उगाने लगे हैं। यह पैदावार में सामान्य गेहूं से थोड़ा कम होता है लेकिन उपयोगिता को देखते हुए इसका बाजार मूल्य सामान्य गेहूं से ज्यादा रहता है। काले गेहूं में पारंपरिक गेहूं की तुलना में कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है। इसे मधुमेह रोगियों के लिए बेहतर विकल्प बनाता है। यह हृदय रोग, कैंसर, और अन्य बीमारियों के खतरे को कम करने में भी बहुत मदद करता है। रामनगर के पास खोले गए कृषि विज्ञान केंद्र खुलने के बाद क्षेत्र की किसानों की दशा और दिशा बदली है।
काला गेहूं स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। इसमें आयरन की मात्रा भी बहुत होती है, हरियाणा में बड़ी मात्रा में काला गेहूं का उत्पादन होता है। किसान डिमांड करता है तो काला गेहूं हरियाणा के करनाल से मंगाया जाता है।