Political war: महापौर मंजूषा ने नेता प्रतिपक्ष पर किया पलटवार, बोलीं- मेरे मेयर बनने के बाद 197 करोड़ के कामों की मिल चुकी है स्वीकृति
Political war: नेता प्रतिपक्ष शफी अहमद ने शहर की सडक़ों के निर्माण के लिए सीएम की घोषणा के बाद भी रुपए नहीं मिलने पर दिया था बयान, बयान के जवाब में मेयर ने कहा-सडक़ों के लिए मिल चुकी है ३.८३ करोड़ की पहली किश्त
अंबिकापुर। पिछले दिनों नेता प्रतिपक्ष नगर निगम अंबिकापुर शफी अहमद द्वारा मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के अंबिकापुर नगर निगम क्षेत्र में सडक़ों के निर्माण व मरम्मत कार्य के लिए स्वीकृत किए गए 23 करोड़ रुपए पर जारी बयान को लेकर महापौर मंजूषा भगत ने पलटवार (Political war) किया है। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष शफी अहमद के बयान को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के घोषणा कर भूल जाने के नेता प्रतिपक्ष के आरोप को एक सिरे से खारिज कर दिया है।
मेयर ने अपने बयान में कहा है कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने अंबिकापुर के विकास के लिए 23 करोड़ की राशि को स्वीकृति प्रदान कर उसकी प्रथम किश्त की राशि 3.83 करोड़ रुपए (Political war) जारी भी कर दिए हैं। नगर निगम क्षेत्र में डामरीकरण के कार्य हेतु निविदा की प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई है। इसमें अविलंब निर्माण कार्य प्रारंभ होना है।
उन्होंने बताया कि प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद अधोसंरचना और शहर के सर्वांगीण विकास के लिए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट योजना के तहत 123 करोड़ के कार्य की निविदा (Political war) भी पूरी हो चुकी है। यही नहीं, नगर निगम अंबिकापुर के गठन के 2 माह के अंदर ही मुख्यमंत्री नगरोत्थान योजना के तहत कला व संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए महानगरों की तर्ज पर 1000 सीटर ऑडिटोरियम के निर्माण की प्रक्रिया भी प्रारंभ हो चुकी है।
उन्होंने कहा कि वर्षों से लंबित लोगों की आस्था के केंद्र रही मां महामाया मंदिर के मार्ग के विकास के लिए मां महामाया कॉरिडोर योजना के तहत 15 करोड़ की राशि की तकनीकी स्वीकृति, मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए मांगलिक भवन हेतु 3 करोड़, प्रशासनिक भवन के अधूरे निर्माण को पूरा करने के लिए भी सीएम ने 2.39 करोड़ की राशि प्रदान की है।
विद्यार्थियों के प्रतियोगी परीक्षा की तैयारियों के लिए बनने वाले नालंदा परिसर (लाइब्रेरी) के निर्माण की प्रक्रिया भी पूर्ण कर ली गई है। उन्होंने बताया कि मेरे महापौर के रूप में शपथ लेने के 2 महीने के भीतर ही अब तक राज्य सरकार द्वारा लगभग 197 करोड़ के निर्माण कार्यों (Political war) की स्वीकृति मिल चुकी है।
मंजूषा ने नेता प्रतिपक्ष पर राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस की नगर निगम सरकार के पिछले कार्यकाल में उनकी प्रदेश में सरकार थी, तब भी नगर निगम क्षेत्र के खस्ताहाल सडक़ों के निर्माण के लिए इनकी निगम सरकार कोई बजट नहीं ला पाई, जिसको अपने बयान में नेता प्रतिपक्ष ने खुद ही स्वीकर (Political war) भी किया है।
Leader of Opposition Shafi Ahmad इसलिए अब उनको समझ आ जाना चाहिए कि ये ट्रिपल इंजन की भाजपा सरकार है, जो कहती है वो करती है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में भाजपा की नगर निगम सरकार विकास के लिए प्रतिबद्ध है। जनअपेक्षाओं व जनभावनाओं के अनुरूप शहर के विकास की परिकल्पना को लेकर नगर का सुव्यवस्थित नियोजन किया जाएगा।
इधर कांग्रेसी पार्षदों का कहना है कि महापौर शहर की सडक़ों को लेकर जनता को गुमराह कर रही हैं। मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद सडक़ों के लिए एक रुपया भी नहीं मिला है। महापौर द्वारा कांग्रेस कार्यकाल की स्वीकृति को अपना बताया जाना दुर्भाग्यजनक (Political war) है। कांग्रेस की पार्षद निमन राशि एक्का, गीता प्रजापति, पपिन्दर सिंह और शुभम जायसवाल ने महापौर को चुनौती देते हुए कहा है कि बताएं कौन-कौन सी सडक़ो के लिए कितना पैसा जारी हुआ है।
नेता प्रतिपक्ष ने सडक़ों के लिए राशि न मिलने पर सवाल उठाया था। महापौर दिगर विषयों पर अधूरी जानकारी दे रही है। कांग्रेस पार्षदों ने राज्य शासन के पत्र के हवाले से कहा कि महापौर जिन 3.83 करोड़ की प्रथम किश्त की बात कह रही हैं, उनमें गांधी स्टेडियम में टेंसाइल रुफिंग के लिए 94.83 लाख, नवीन कार्यालय भवन के शेष कार्य के लिए 156.99 लाख और नवीन कार्यालय भवन में विद्युतीकरण के लिए 82.41 लाख रुपये जारी किया गया है।
सडक़ों के लिए एक पैसा भी नहीं मिला है। 123 करोड़ का सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की स्वीकृति कांग्रेस के कार्यकाल में हुई थी। मुख्यमंत्री ने स्वयं इसका भूमिपूजन (Political war) उसी कार्यक्रम में किया था, जिसमें सडक़ों के लिए पैसे देने की बात कही थी। महामाया मंदिर कॉरिडोर भी कांग्रेस की परिकल्पना है। इसके तहत ही प्रथम चरण भव्य महामाया मंदिर प्रवेश द्वार का निर्माण कार्य कराया गया है।
सडक़ें बरसात से पहले बनेंगी या नहीं
कांग्रेसी पार्षदों ने कहा है कि महापौर जनता को बरगलाना बंद कर सीधे-सीधे यह बताएं कि सडक़ें बरसात से पहले बन पाएंगी या नहीं। नेता प्रतिपक्ष का जनहित के सवाल (Political war) को दुर्भाग्यजनक बताने में अपनी क्षमता लगाने की बजाए जाएं और मुख्यमंत्री से सडक़ों के लिए पैसे लेकर आएं।
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