script5500 किलो भारी और 42 फुट ऊंचाई, राम मंदिर के शिखर पर लगा ध्वज दंड | 5500 kg heavy. 42 feet high, flag pole installed on the top of Ram Mandir | Patrika News
अयोध्या

5500 किलो भारी और 42 फुट ऊंचाई, राम मंदिर के शिखर पर लगा ध्वज दंड

अयोध्या में आज राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य शिखर पर ध्वज दंड की स्थापना की गई। इसकी जानकारी श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से दी।

अयोध्याApr 29, 2025 / 05:17 pm

Prateek Pandey

ram mandir dhwaj dand
इस मौके पर कुछ विशेष तस्वीरें भी साझा की गईं, जिनमें ध्वज दंड की स्थापना की प्रक्रिया और उत्सव का माहौल देखा जा सकता है। जैसे ही यह शुभ कार्य संपन्न हुआ, अयोध्या नगरी ‘जय श्रीराम’ के नारों से गूंज उठी और वातावरण भक्तिमय हो गया।

जानिए क्या है ध्वज दंड की खासियत

ध्वज दंड कांस्य धातु से बनाया गया है और इसका कुल वजन लगभग साढ़े पांच टन यानी 5500 किलो है। इसे अहमदाबाद में तैयार किया गया है जिसमें करीब तीन महीने का समय लगा। यह ध्वज स्तंभ 42 फीट लंबा है और राम मंदिर के 161 फीट ऊंचे शिखर पर इसे स्थापित किया गया। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने बताया कि परशुराम जयंती के पावन अवसर पर और अक्षय तृतीया की पूर्व संध्या पर इसे प्रतिष्ठापित किया गया, जो कि पंचांग के अनुसार वैशाख शुक्ल द्वितीया तिथि को सुबह 8 बजे पूर्ण हुआ। इसकी स्थापना की प्रक्रिया सुबह 6:30 बजे आरंभ हुई थी।
रामनगरी अयोध्या इस आयोजन के दौरान एक बार फिर श्रद्धा और रोशनी से झिलमिला उठी। पूरे मंदिर में जय श्री राम के नारे लगाए गए। इस शुभ अवसर पर अयोध्या के अन्य प्रमुख धार्मिक स्थलों पर भी विशेष अनुष्ठानों और कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। राम हर्षण कुंज मंदिर में भगवान सीताराम के विग्रह की स्थापना अक्षय तृतीया के दिन हुई थी, इसलिए वहां तीन दिवसीय उत्सव की शुरुआत सोमवार से की गई। पहले दिन शास्त्रीय ग्रंथों के पाठ के साथ भगवान का अभिषेक और पूजन किया गया।

अक्षय तृतीया पर अयोध्या में क्या होगा खास?

इसके अलावा दशरथ महल स्थित बड़ा स्थान, जो बिंदु सम्प्रदाय की प्रमुख पीठ मानी जाती है, वहां भी विशेष तैयारियां शुरू हो गई हैं। यहां परंपरागत रूप से श्रीराम महायज्ञ का आयोजन हर वर्ष अक्षय तृतीया से शुरू होकर मखभूमि में संपन्न होता है। इस पीठ की खास पहचान है कि यहां के संत अपने ललाट पर तीन उर्ध्व तिलकों के मध्य बिंदु का चिन्ह लगाते हैं, जो जनकनंदिनी सीता जी से जुड़े दिव्य अनुभवों की स्मृति में किया जाता है। यही गहराई और परंपरा अयोध्या की आध्यात्मिक गरिमा को और ऊंचा करती है।

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