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अयोध्या

Ayodhya Inspirational Teacher: जब लौटीं यशोधरा यादव, खुशी से झूम उठे बच्चे – विद्यालय में हुआ ऐतिहासिक स्वागत!

Student Teacher Bond Bikapur Ayodhya: अयोध्या के कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में एक शिक्षिका की पुनः वापसी पर भावनात्मक दृश्य देखने को मिला। यशोधरा यादव के लौटते ही छात्राएं खुशी से झूम उठीं और भावुक होकर उनका फूल-मालाओं से स्वागत किया। शिक्षिका का समर्पण और छात्रों का अपार स्नेह शिक्षा जगत में प्रेरणा बना।

अयोध्याMar 16, 2025 / 08:36 am

Ritesh Singh

शिक्षिका की विद्यालय में पुनः वापसी पर बच्चों का भावनात्मक स्वागत: शिक्षा जगत में मिसाल बनीं यशोधरा यादव

शिक्षिका की विद्यालय में पुनः वापसी पर बच्चों का भावनात्मक स्वागत: शिक्षा जगत में मिसाल बनीं यशोधरा यादव

Inspirational Teacher Ayodhya: शिक्षा केवल ज्ञान देने की प्रक्रिया नहीं, बल्कि छात्रों और शिक्षकों के बीच प्रेम, स्नेह, और समर्पण का बंधन भी है। इसी कड़ी में, कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय, मिल्कीपुर कुचेरा बाजार की शिक्षिका यशोधरा यादव के विद्यालय में पुनः आगमन पर जो दृश्य देखने को मिला, वह शिक्षा जगत की गरिमा को और ऊंचा करने वाला है।
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बच्चों का अभूतपूर्व स्नेह: खुशी के आंसू और माल्यार्पण से किया स्वागत

एक शिक्षक और उनके छात्रों के बीच का रिश्ता कितना गहरा हो सकता है, इसका उदाहरण तब देखने को मिला जब यशोधरा यादव के विद्यालय में वापसी की खबर सुनकर छात्राओं की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। विदाई के समय जहां बच्चे उन्हें छोड़ने को तैयार नहीं थे, वहीं वापसी पर खुशी से झूम उठे। छात्राओं ने उन्हें फूल-मालाओं से लाद दिया और खुशी के आंसू छलक पड़े। विद्यालय में लौटते ही बच्चों ने शिक्षिका से लिपटकर रोते हुए अपने स्नेह का इज़हार किया। कई छात्राओं ने तो अपने हाथों से स्वागत पोस्टर और बैनर बनाकर अपने प्रिय शिक्षिका को समर्पित किए। यह नज़ारा सिर्फ विद्यालय तक सीमित नहीं रहा, बल्कि पूरे इलाके में चर्चा का विषय बन गया।
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आरोपों और संघर्षों के बावजूद शिक्षिका ने बनाए रखी गरिमा

यशोधरा यादव वर्ष 2007 से 2024 तक कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय, मिल्कीपुर कुचेरा बाजार में पूर्णकालिक शिक्षिका के रूप में कार्यरत थीं। इस दौरान, कुछ विरोधियों ने उन पर बच्चों के उत्पीड़न और जिम्मेदारी पूर्वक पढ़ाई न कराने जैसे गंभीर आरोप लगाकर उच्च अधिकारियों से शिकायत की थी। इतना ही नहीं, उनके खिलाफ “लेडी डॉन” जैसे आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग कर उन्हें हतोत्साहित करने का भी प्रयास किया गया। इन परिस्थितियों के चलते उनका स्थानांतरण बीकापुर तहसील क्षेत्र के चौरे बाजार स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में कर दिया गया। हालांकि, संघर्षों के बावजूद उन्होंने अपने शिक्षकीय कर्तव्यों का पूरी निष्ठा से निर्वहन किया, जिससे बच्चों और सहकर्मियों का विश्वास बना रहा। यही कारण रहा कि 8 महीने के भीतर उनका दोबारा पहले वाले विद्यालय में स्थानांतरण हुआ।
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विदाई के समय भावुक हुआ विद्यालय का माहौल

जब उनका तबादला चौरे बाजार स्थित विद्यालय में किया गया, तब मिल्कीपुर कुचेरा बाजार विद्यालय की छात्राएं और शिक्षकगण गहरे भावुक हो गए। बच्चों ने उन्हें जाने से रोकने के लिए हरसंभव कोशिश की और विदाई समारोह के दौरान शिक्षिका से लिपटकर फफक-फफक कर रो पड़े। “मुझे छोड़कर मत जाइए मैम” जैसी भावुक पुकारें विद्यालय परिसर में गूंज उठीं। यह दृश्य वहां मौजूद सभी लोगों के लिए अत्यंत मार्मिक था।

पूर्व विद्यालय में पुनः वापसी: स्वागत में उमड़े भावनाएं

जब शिक्षिका यशोधरा यादव का पुनः मिल्कीपुर कुचेरा बाजार के विद्यालय में स्थानांतरण हुआ, तो जैसे ही यह समाचार बच्चों तक पहुंचा, वे खुशी से झूम उठे। उनकी वापसी पर विद्यार्थियों ने फूल-मालाओं और ढोल-नगाड़ों के साथ भव्य स्वागत किया। छात्राओं ने शिक्षिका के प्रति सम्मान और प्रेम प्रकट करने के लिए गुलाब की पंखुड़ियों से उनका रास्ता सजाया और उन्हें गले लगाकर खुशी के आंसू बहाए। विद्यालय में ऐसा भावनात्मक दृश्य देखकर सभी शिक्षक, अधिकारी और स्थानीय लोग भी अभिभूत हो गए।
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यशोधरा यादव ने शिक्षा जगत का बढ़ाया सम्मान

शिक्षिका यशोधरा यादव ने अपने समर्पण और गरिमा से यह साबित कर दिया कि एक शिक्षक केवल ज्ञान देने वाला व्यक्ति नहीं होता, बल्कि वह छात्रों के भविष्य को संवारने वाला एक मार्गदर्शक भी होता है। उन्होंने नकारात्मक आलोचनाओं और झूठे आरोपों का डटकर सामना किया और शिक्षा के प्रति अपनी निष्ठा को बनाए रखा। यही कारण है कि आज उनका नाम न केवल विद्यालय में, बल्कि शिक्षा जगत में भी सम्मान के साथ लिया जा रहा है।
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शिक्षा जगत में चर्चा का विषय बनीं यशोधरा यादव

आज जब कुछ शिक्षक अपने आचरण से शिक्षा की गरिमा को धूमिल कर रहे हैं, वहीं यशोधरा यादव जैसी शिक्षिकाएं इस पेशे की वास्तविक प्रतिष्ठा को उजागर कर रही हैं। उनकी यह कहानी शिक्षा जगत के लिए एक मिसाल है, जो यह दर्शाती है कि समर्पण, ईमानदारी और निष्ठा का कोई विकल्प नहीं होता।
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यशोधरा यादव का संघर्ष और बच्चों का उनके प्रति स्नेह यह साबित करता है कि एक सच्चा शिक्षक अपने ज्ञान और प्रेम से छात्रों के दिलों में अमिट छाप छोड़ता है। उनकी यह यात्रा उन सभी शिक्षकों के लिए प्रेरणा है, जो चुनौतियों के सामने हार मानने के बजाय अपने कर्तव्यों के प्रति समर्पित रहते हैं।

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