क्या है पूरा मामला ?
दरअसल, अयोध्या मामले में जिस तरह पूरा घटनाक्रम चला उसने सियासत को समझने वालों को कई संकेत दे दिए। अयोध्या में आतंकी हमले की साजिश रचने वाले आरोपी को गुजरात ATS (एंटी टेरर स्क्वाड) ने हरियाणा से गिरफ्तार किया। इस मामले में सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि उत्तर प्रदेश ATS को इसकी भनक क्यों नहीं लगी ? खास बात ये है कि जब गिरफ्तारी हुई तो गुजरात ATS ने हरियाणा पुलिस को सूचना दी लेकिन यूपी एटीएस को क्यों नहीं? इस ऑपरेशन को गुजरात एटीएस ने अंजाम दिया लेकिन ये स्पष्ट नहीं है कि क्या उत्तर प्रदेश ATS को इस पूरे घटनाक्रम के बारे में पहले से कोई इनपुट था। आमतौर पर राज्यों की एटीएस यूनिट्स को बड़े इनपुट केंद्रीय एजेंसियों (IB, NIA या RAW) से मिलते हैं लेकिन इस केस में गुजरात एटीएस सीधे हरियाणा पुलिस से समन्वय कर रही थी।
ये है इंटेल शेयरिंग का प्रोसेस?
रिटार्यड पुलिस अधिकारी योगेन्द्र जोशी के अनुसार आमतौर पर हमारे देश में खुफिया जानकारी साझा करने की एक तय प्रक्रिया होती है। स्टेट की एजेंसियों को IB और NIA की ओर से इनपुट मिलता है। कभी-कभी राज्यों की ATS और STF की टीम से भी इनपुट मिलता है जो जरूरत पड़ने पर संबंधित राज्य की पुलिस से शेयर किया जाता है लेकिन मौजूदा हालात में ऐसा नजर नहीं आता। कई बार स्टेट की टीम दूसरे स्टेट को इनपुट देने के बजाय खुद ही एक्शन ले लेती है।
क्या पुलिस में है तालमेल की कमी
राज्यों के बीच तालमेल की कमी के कारण कई बार अलग-अलग एजेंसियां अपने स्तर पर ऑपरेशन प्लान करती हैं। ये पहला मौका नहीं है जब एक राज्य की पुलिस ने दूसरे राज्य की पुलिस को सूचना दिए बिना ही ऑपरेशन को अंजाम दिया। साल 2008 और 2013 में बम धमाकों के मामले में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने इंडियन मुजाहिदीन के आतंकियों को पकड़ा था लेकिन आंतकियों की सूचना महाराष्ट्र एटीएस और आंध्र प्रदेश पुलिस को भी थी।
क्या सच में हुआ प्रोटोकॉल का उल्लंघन?
अगर उत्तर प्रदेश ATS को इस ऑपरेशन से बाहर रखा गया था, तो यह एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। यह भी संभव है कि गुजरात एटीएस को स्वतंत्र रूप से इनपुट मिले हो और उन्होंने इसे गोपनीय रखते हुए सीधे हरियाणा पुलिस से समन्वय किया हो। इससे जानकारी लीक होने की संभावना कम गई हो। यूपी ATS को बाहर रखने का ये भी कारण हो सकता है। क्या राजनीतिक एंगल भी है?
मामले में अगर यूपी एटीएस को सूचना नहीं दी गई थी, तो यह सवाल उठता है कि क्या भरोसे की कमी कोई कारण था? यह संभव है कि गुजरात एटीएस को इस आतंकी साजिश से जुड़ा इनपुट सीधे किसी केंद्रीय एजेंसी से मिला हो। ऐसे मामलों में राज्य की एजेंसी तुरंत कार्रवाई करती है और जरूरी नहीं कि वह अन्य राज्यों की एटीएस को पहले से सूचित करे लेकिन इससे इतर इस मामले में एजेंसियों को सूचना लीक होने का भी डर हो सकता है इसलिए जानकारी ज्यादा साझा नहीं की गई हो। कई बार राज्यों की सरकारों के बीच विश्वास की कमी होती है, जिससे दूसरी एजेंसियां सीधे कार्रवाई करती हैं।