इस परियोजना को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), नई दिल्ली और भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान (आईआईआरआर), हैदराबाद के सहयोग से संचालित किया जा रहा है। कृषि विज्ञान केंद्र कोटवां में डॉ. अखिलेश कुमार यादव और डॉ. दिव्या सिंह के नेतृत्व में तीन वर्षों तक इन धान की प्रजातियों का स्थानीय किस्मों के साथ तुलनात्मक अध्ययन किया जाएगा।
वैज्ञानिकों के अनुसार, इस परियोजना का उद्देश्य पूर्वांचल के मौसम और मिट्टी के अनुरूप जलवायु अनुकूल, अधिक उत्पादक और टिकाऊ धान की किस्मों की पहचान कर उन्हें किसानों तक पहुंचाना है। इससे क्षेत्र में खाद्य सुरक्षा मजबूत होगी और किसानों की आय में भी उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
परियोजना की शुरुआत कृषि विज्ञान केंद्र कोटवां में विधिवत रूप से की गई है। इसमें विदेशी सहायता से विकसित नर्सरी में अलग-अलग प्रजातियों की रोपाई की जा चुकी है। परीक्षण के उपरांत श्रेष्ठ किस्मों का चयन कर किसानों को उनके खेतों में लगाने हेतु बीज उपलब्ध कराए जाएंगे।
गौरतलब है कि बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन विश्व का सबसे बड़ा निजी परोपकारी संगठन है, जिसकी स्थापना वर्ष 2000 में बिल गेट्स और मेलिंडा गेट्स ने की थी। इसका उद्देश्य स्वास्थ्य, शिक्षा, गरीबी उन्मूलन और कृषि सुधार जैसे क्षेत्रों में वैश्विक स्तर पर सहयोग प्रदान करना है।
कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डॉ. अखिलेश यादव ने बताया कि यह परियोजना पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए मील का पत्थर साबित होगी। इससे न केवल धान उत्पादन में इजाफा होगा बल्कि किसानों को कम लागत में अधिक लाभ मिल सकेगा।