अभियोजन पक्ष के अनुसार वादी मुकदमा अजीत रुंगटा निवासी सदावर्ती का पुत्र शुभांग रूंगटा ज्योति निकेतन स्कूल का छात्र था। रोज की तरह शुभांग रूंगटा 31 अगस्त 2006 को स्कूल गया लेकिन वापस नहीं लौटा। परेशान माता-पिता ने जब तलाश की तो शुभांग की साइकिल स्कूल के साइकिल स्टैंड में ही मिली।उसी रात 9 बजे अजीत रूंगटा के फोन पर फिरौती के लिए फोन आया। संदेह होने पर पुलिस ने सबसे पहले घर में काम करने वाले नाबालिग नौकर को ही उठाया। कड़ी पूछताछ पर नौकर ने स्वीकार किया कि फिरौती के लिए तीन अन्य लोगों के साथ मिलकर शुभांग रका अपहरण किया गया और शुभम को सिधारी थाना अंतर्गत जमालपुर गांव में प्रमोद यादव के घर में रखा गया था।
पहचान लिए जाने के डर से गला दबाकर शुभांग की हत्या करके शारदा टॉकीज के पास नदी किनारे सरपत के झुरमुट में लाश को फेंक दिया गया। नाबालिग नौकर की निशानदेही पर शुभांग की लाश 3 सितंबर 2006 को बरामद की गई। पुलिस ने जांच पूरी करने के बाद प्रमोद यादव उर्फ़ बालू यादव निवासी जमालपुर अजीत कुमार शर्मा निवासी हर्रा की चुंगी तथा दो नाबालिग आरोपियों के विरुद्ध नवंबर 2006 में चार्जशीट न्यायालय में प्रेषित किया।दोनों नाबालिग आरोपियों की पत्रावली किशोर न्याय बोर्ड भेज दी गई।
अभियोजन पक्ष की तरफ से सहायक शासकीय अधिवक्ता दीपक कुमार मिश्रा ने वादी मुकदमा अजीत रुंगटा समेत आठ गवाहों को न्यायालय में परीक्षित कराया। दोनों पक्षों के दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने आरोपी प्रमोद यादव उर्फ बलऊ तथा अजीत कुमार शर्मा को आजीवन कारावास तथा प्रत्येक को 45000 रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई ।
सहायक शासकीय अधिवक्ता दीपक कुमार मिश्रा ने बताया कि आज कोर्ट नंबर 3 द्वारा फैसला सुनाया गया। जिसमें चार अभियुक्त थे जिसमें से दो नाबालिग होने के कारण उनकी पत्रावली किशोर न्यायालय को भेज दी गई। जबकि आरोपी प्रमोद यादव तथा अजीत कुमार शर्मा को आजीवन कारावास और प्रत्येक को अर्थ दंड की सजा सुनाई गई है।