अध्यक्ष निरजंन बिसेन ने बताया कि वर्तमान समय में कक्षा पहली से लेकर आठवीं तक के अशासकीय स्कूलों के नवीनीकरण का कार्य किया जा रहा है। हर समय एक हजार के नोटरी पर किरायानामा बनाने से काम चल जाता था। लेकिन इस वर्ष रजिस्ट्रर्ड किरायानामा दिए जाने का नियम बनाया गया है, जो न्याय संगत नहीं है। क्योकि कोई भी मकान मालिक रजिस्ट्रर्ड किराया नामा देने से मना ही करेगा। इतना ही नहीं इस कार्य में 40 से 50 हजार रुपए का खर्च भी आ रहा है। उन्होंने बताया कि 70 से 80 प्रतिशत अशासकीय स्कूल ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित हो रहे है और गांव की भूमि डायवर्ड नहीं है ऐसे में संपदा पोर्टल पर चाह कर भी इंट्री नहीं कराई जा सकती है। ऐसी स्थिति में 50 से 60 प्रतिशत स्कूल बंद होने की कगार में पहुंच गए हंै।