निजी सेंटर में महंगी जांच कराने मजबूर
रिजेंट किट नहीं होने के कारण केलोस्ट्रॉल, थाइराइड, डायलिसिस, किडनी, लिवर फंक्शन, इलेक्टोराइट सहित अन्य जरूरी जांच नहीं हो रही है। जांच कराने मरीज आते हैं, लेकिन उन्हें वापस जाना पड़ रहा है। वे निजी सेंटरो में महंगे दाम पर रक्त जांच कराने मजबूर हैं। मैनुअली जांच में काफी वक्त लग रहा है, इसलिए समय पर रिपोर्ट नहीं मिल रही है। इससे इलाज में भी देरी हो रही है। लैब शो पीस बनकर रह गया है। रक्त जांच के लिए भटक रहे है मरीज
गंभीर रोगों का इलाज कराने रक्त जांच जरूरी है, लेकिन जिला अस्पताल में रिजेंट किट नहीं है। मरीजों की परेशानियों से सीजीएमएससी विभाग को मतलबे नहीं है। रोजाना मरीज चक्कर लगा रहे हैं।
अस्पताल में बढ़ी मरीजों की संख्या
मौसम में बदलाव के कारण लोग बीमार पड़ रहे हंै। जिला एवं मातृ शिशु अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ी है। हर दिन लगभग 300 से अधिक मरीज पहुंच रहे हैं। भर्ती मरीजों को भी सीबीसी जांच कराना अनिवार्य होता है। इस स्थिति में हमर लैब में प्रतिदिन लगभग 50 से अधिक सीबीसी जांच होती थी। अब मैनुअली जांच हो रही है। समय पर रिपोर्ट नहीं मिल रही है। करोड़ों का राजस्व देने वाले तहसील और एसडीएम कार्यालय में लोगों को पानी भी नसीब नहीं
लिखा गया है पत्र
जिला अस्पताल बालोद के सिविल सर्जन डॉ. आरके श्रीमाली ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से रिजेंट किट नहीं होने से सीबीसी जांच प्रभावित हो रही है। मैनुअली जांच हो रही है। किट के लिए सीजीएमएससी को पत्र लिखा गया है। अब तक कोई जवाब नहीं आया है।