scriptReligious place : रामायण काल से जुड़ी है प्रकृति की खूबसूरती से भरपूर मां सियादेवीं की गाथा | छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों से आते हैं यहां वर्षभर पर्यटक | Patrika News
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Religious place : रामायण काल से जुड़ी है प्रकृति की खूबसूरती से भरपूर मां सियादेवीं की गाथा

प्रकृति की गोद में स्थित मां सियादेवी नारागांव, बालोद जिले के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में जाना जाता है। यह स्थान प्राकृतिक जलप्रपात, घने वन, धार्मिक एवं आध्यात्मिक स्थल के रूप में काफी प्रसिद्ध है।

बालोदJan 04, 2025 / 11:56 pm

Chandra Kishor Deshmukh

प्रकृति की गोद में स्थित मां सियादेवी नारागांव, बालोद जिले के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में जाना जाता है। यह स्थान प्राकृतिक जलप्रपात, घने वन, धार्मिक एवं आध्यात्मिक स्थल के रूप में काफी प्रसिद्ध है।
Tourist place प्रकृति की गोद में स्थित मां सियादेवी नारागांव, बालोद जिले के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में जाना जाता है। यह स्थान प्राकृतिक जलप्रपात, घने वन, धार्मिक एवं आध्यात्मिक स्थल के रूप में काफी प्रसिद्ध है। यहां प्रतिदिन आने वाले पर्यटक मां सियादेवी का आशीर्वाद लेने के साथ ही प्रकृति की खूबसूरती से भरपूर इस स्थान का आनंद उठाते हुए अपना एक दिन सफल करते हुए बहुत सी खूबसूरत यादों को समेट कर वापस यहां लौटने की इच्छा लेकर जाते हैं। इस स्थान ने अपनी प्राकृतिक सुंदरता से छत्तीसगढ़ में पर्यटन के क्षेत्र में अपनी अलग ही पहचान बनाई है।
ग्राम नारागांव के समीप स्थित यह स्थान प्राकृतिक सुंदरता से परिपूर्ण है। यहां चारों ओर घने जंगल हैं, तो वहीं प्राकृतिक झरने की समधुर आवाज एक रोमांच पैदा कर देती है।

प्राकृतिक सुंदरता से परिपूर्ण है यह स्थान

जिले के ग्राम नारागांव के समीप स्थित यह स्थान प्राकृतिक सुंदरता से परिपूर्ण है। यहां चारों ओर घने जंगल हैं, तो वहीं प्राकृतिक झरने की समधुर आवाज एक रोमांच पैदा कर देती है। सियादेवी जलप्रपात बारिश के दिनों में अपने रौद्र रूप में नजर आता है, जब यहां पानी की मात्रा अत्यधिक होती है, जलप्रपात से गिरने वाले पानी की आवाज और दृश्य का संगम इस जगह को पर्यटकों के लिए बहुत ही रोमांचकारी बना देता है।

भगवान राम माता सीता को ढूंढ़ते हुए यहां आए थे

वनवास काल में भगवान श्रीराम और लक्ष्मण, देवी सीता को ढूंढते हुए यहां आए थे।
सियादेवी मंदिर के पुजारी नानिक राम कोर्राम ने इस स्थान के बारे में प्रचलित मान्यता के बारे में बताया कि वनवास काल में भगवान श्रीराम और लक्ष्मण, देवी सीता को ढूंढते हुए यहां आए थे। उनकी निष्ठा के परीक्षण के लिए माता पार्वती ने माता सीता के रूप में भगवान राम की परीक्षा ली। लेकिन भगवान राम ने उन्हें पहचान लिया और मां के रूप में संबोधन किया। माता पार्वती को इस घटना से अपराध बोध हुआ। उन्होंने इस संबंध में भगवान शिव को बताया और क्षमा मांगी तब शिवजी ने मां पार्वती को देवी सीता के अवतार में इसी स्थान में विराजमान होने के लिए कहा। तभी से यह स्थान सिया देवी माता के नाम से जाना जाता है।
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नवरात्रि में हजारों भक्तों का यहां लगा रहता है तांता

नवरात्र के समय यहां हजारों श्रद्धालुओं का आना होता है। यहां पहुंचे पर्यटक साकेत श्रीवास्तव ने बताया कि वे खैरागढ़ से यहां आए हैं। उन्हें यहां की प्राकृतिक सुंदरता और मां सियादेवी का मंदिर देखकर काफी खुशी मिली। उन्होंने बताया कि यहां अच्छा पर्यटन को विकसित करने बेहतर कार्य किया गया है। सभी प्रकार की मूलभूत सुविधाएं देखकर अच्छा लगा।
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प्राकृतिक खूबसूरती का आनंद लेने के लिए उपयुक्त स्थान

महाराष्ट्र के भंडारा से पहुंचे पर्यटक वसंतराव ने बताया कि वे पहली बार इस स्थान पर आए हैं। उन्हें यह स्थान बहुत ही अच्छा लगा, घूमने और प्राकृतिक खूबसूरती का आनंद लेने के लिए यह बहुत ही उपयुक्त स्थान है। यहां सीसीरोड, बेरिकेट, सीढिय़ां, पेयजल, शौचालय, सोलर लाईट, शेड, भवन सहित बैठक आदि की भी व्यवस्था है। ओनाकोना में रायपुर, धमतरी, बालोद से आसानी से पहुंचा जा सकता है। बालोद जिले के ग्राम सांकरा (क) से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम नारागांव होते हुए यहां पहुंचा जा सकता है।

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