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बालोद जिले में स्थित है 11वीं शताब्दी का प्राचीन शिव मंदिर, अब यहां बनेगा धार्मिक पर्यटन स्थल, जानिए इसके बारे में…

Shiva temple of 11th century in Jagannathpur of Balod district: 11वीं शताब्दी के ऐसे प्राचीन व ऐतिहासिक मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिससे उसकी पौराणिक मान्यता तो है ही, ऐतिहासिक महत्व भी बढ़ जाता है। वह इसलिए क्योंकि इस मंदिर निर्माण से गांव का नाम भी जुड़ा हुआ है।

बालोदFeb 26, 2025 / 02:22 pm

Khyati Parihar

बालोद जिले में स्थित है 11वीं शताब्दी का प्राचीन शिव मंदिर, अब यहां बनेगा धार्मिक पर्यटन स्थल, जानिए इसके बारे में
Balod News: बालोद जिले के ग्राम जगन्नाथपुर के तालाब पार में 11वीं शताब्दी का प्राचीन शिवलिंग है। जल्द यह क्षेत्र धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होगा, लेकिन पुरातात्विक स्थल होने के बाद भी पर्यटन एवं संस्कृति विभाग ध्यान नहीं दे रहा है।

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दानदाताओं के सहयोग से हो रहा विकास

यहां दानदाताओं के सहयोग से मंदिर के समीप ही 33 फीट ऊेेंची भगवान शंकर की प्रतिमा बनाई जा रही है। 11वीं शताब्दी का प्राचीन शिव मंदिर पुरातत्व विभाग के तहत संरक्षित स्थल भी है। महाशिवरात्रि पर प्राचीन शिव मंदिर में विशेष पूजा अर्चना होती है। नवदंपती यहां कुशल गृहस्थ जीवन की कामना के साथ महाशिवरात्रि के पूजन में विशेष रूप से शामिल होते हैं। श्रद्धालुओं को खीर पूड़ी प्रसाद का वितरण किया जाता है।

जल्द बोटिंग की शुरुआत, आ चुकी है चार नाव

निवृतमान सरपंच अरुण साहू ने बताया कि जल्द ही इस बांध में बोटिंग की शुरुआत भी होने वाली है। जिला प्रशासन की ओर से हमें चार बोट मिले हैं। जिला कलेक्टर इंद्रजीत सिंह चंद्रवाल और जिला पंचायत सीईओ डॉ. संजय कन्नौजे की पहल से बोटिंग की सौगात ग्रामीणों को मिलने वाली है।
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मंदिर के निर्माण से जुड़ा है गांव का नामकरण

11वीं शताब्दी के प्राचीन व ऐतिहासिक मंदिर की अपनी पौराणिक मान्यता है, ऐतिहासिक महत्व भी है। पुरी के जगन्नाथ से प्रेरित होकर गांव का नाम जगन्नाथपुर पड़ा है। बालोद- अर्जुन्दा मार्ग पर स्थित गांव की सीमा पर स्थित प्राचीन शिव मंदिर लोगों का ध्यान आकर्षित करता है। हमने मंदिर के ऐतिहासिक महत्व के बारे में जानकारी ली तो रोचक तथ्य सामने आया।
गांव का नाम ओडिशा के पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर से जुड़ा है। इसके पीछे जगदलपुर के राजा का भक्ति भाव और मंदिर निर्माण का प्रयास बताया जाचा है। बुजुर्गों से सुनी जा रही किवंदती अनुसार ऐसी मान्यता है कि जगदलपुर के राजा-रानी ओडिशा के जगन्नाथ मंदिर की यात्रा में गए थे। वहां से लौटते समय तत्कालीन ग्राम डुआ (वर्तमान नाम जगन्नाथपुर) में विश्राम करने रुके। यहां का माहौल पुरी की भांति भक्ति पूर्ण रहता था, जिसे देखते हुए राजा रानी ने यहां पर दो शिवलिंग मंदिर का निर्माण कराया, जिसमें से एक मंदिर नष्ट हो चुका है और एक अस्तित्व में हैं।

जगदलपुर के राजा-रानी ने किया नामकरण

जगदलपुर के राजा रानी ने ही गांव का नाम पुरी के माहौल की तरह होने के कारण डुआ से जगन्नाथपुर रखा। वर्तमान में पुरातत्व विभाग इसके संरक्षण को लेकर कोई प्रयास नहीं कर रहा है। इसके कारण प्राचीन मंदिर के भी नष्ट होने का खतरा है। यह पुरातत्व विभाग का संरक्षित स्मारक है, इसलिए मूल प्राचीन मंदिर में पंचायत, प्रशासन या कोई व्यक्तिगत भी छेड़छाड़ नहीं कर सकता। इसलिए आसपास क्षेत्र का ही सौंदर्यीकरण कराया जा सकता है।

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