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बांसवाड़ा

रेडियोलॉजिस्ट थे, घूमने का शौक था, पैथोलॉजिस्ट पत्नी को कहा था अब लंदन में साथ रहेंगे, लेकिन पूरा परिवार खत्म

Ahmedabad Plane Crash Update: हादसे के बाद से ही डॉक्टर प्रतीक जोशी, उनकी पत्नी डॉ. कोनी व्यास और उनके तीन मासूम बच्चों के शवों की तलाश जारी है।

बांसवाड़ाJun 13, 2025 / 11:50 am

JAYANT SHARMA

डॉक्टर दम्पत्ति और मासूम बच्चे, प्लेन क्रेश की सबसे ज्यादा भावुक करने वाली तस्वीर, फोटो – पत्रिका

Ahmedabad Plane Crash Update: गुजरात के अहमदाबाद में गुरुवार को हुए प्राइवेट प्लेन हादसे में उदयपुर के डॉक्टर दंपती और उनके तीन बच्चों की जान चली गई है। हादसे के बाद से ही डॉक्टर प्रतीक जोशी, उनकी पत्नी डॉ. कोनी व्यास का परिवार सदमे में है।

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डॉ. प्रतीक जोशी पिछले चार साल से लंदन में बतौर रेडियोलॉजिस्ट काम कर रहे थे। वहीं, उनकी पत्नी डॉ. कोनी व्यास उदयपुर के पेसिफिक मेडिकल कॉलेज में पैथोलॉजिस्ट के रूप में प्रैक्टिस कर रही थीं। बच्चों की उम्र कम होने के कारण अब तक उनके पासपोर्ट नहीं बन पाए थे, इसलिए वे मां के साथ यहीं रह रहे थे और उदयपुर में ही पढ़ाई कर रहे थे। लेकिन अब पासपोर्ट की प्रक्रिया पूरी हो गई थी और इसी कारण तीनों बच्चों की टीसी कटाने के बाद माता-पिता उनको लेकर लंदन शिफ्ट होने जा रहे थे।
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तीन दिन पहले ही प्रतीक जोशी भारत लौटे थे। उन्होंने कोनी से कहा कि अब सभी को लंदन शिफ्ट होना चाहिए। बच्चों के भविष्य और परिवार को साथ रखने की सोच से प्रेरित होकर कोनी ने पेसिफिक से इस्तीफा दे दिया था। गुरुवार को पूरा परिवार लंदन के लिए फ्लाइट पकड़ने अहमदाबाद पहुंचा था। परिजन उन्हें एयरपोर्ट तक छोड़ने आए थे और फ्लाइट टेकऑफ होते ही वे लौटने लगे। तभी रास्ते में उन्हें प्लेन क्रैश की सूचना मिली। वे तुरंत वापस एयरपोर्ट पहुंचे, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी।
प्रारंभिक जानकारी में ये भी सामने आया कि डॉक्टर प्रतीक जोशी के परिवार में कई लोग मेडिकल फील्ड में हैं। उनके पिता भी रेडियोलॉजिस्ट हैं और बांसवाड़ा में बड़ा सोनोग्राफी सेंटर चलाते हैं। वहीं डॉक्टर कोनी व्यास के भाई बिल्डिंग मैटेरियल का कारोबार करते हैं।
उधर इस हादसे के बाद अब बर्लिन से मृतक डॉ. कौमी की बहन रवाना हो गई हैं। वे आज सीधे अहमदाबाद पहुंचेंगी। बांसवाड़ा के डॉक्टर दम्पती का परिवार अहमदाबाद है। वहां डीएनए सैम्पलिंग की प्रक्रिया की जा रही है। दोनों ही पक्षों के लोग वहां मौजूद हैं। दम्पती व तीनों बच्चों के शव बांसवाड़ा पहुंचने में अभी भी तीन दिन का समय लग सकता है।

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