यह सुसाइड नोट लिखकर प्रेमी जोड़े ने आत्महत्या कर ली। दोनों के शव गांव से कुछ ही दूरी पर पेड़ से एक ही रस्सी के सहारे लटके मिले। युवती 5 मई को अपने प्रेमी के साथ भाग गई थी। दोनों एक ही गांव के रहने वाले थे। मामला बाराबंकी जिले के लालपुर गांव का है।
लालपुर मजरे भारतीपुर के रहने वाले जितेंद्र उर्फ भानु सिंह का गांव की युवती शिल्पा यादव के साथ 2 साल से प्रेम प्रसंग चल रहा था। भानु सिंह खेती करता था। दोनों के घर आमने- सामने हैं। शिल्पा यादव की शादी परिजनों ने दूसरी जगह तय कर दी थी। इससे दोनों परेशान थे।
शिल्पी की 5 मई को शादी थी, उसके घर बारात भी आ गई थी। लेकिन शादी के दिन ही वह अपने प्रेमी भानु के साथ घर से भाग गई। परिजनों को जब इसकी जानकारी हुई तो शिल्पी के पिता ने मसौली थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। परिजनों ने रिश्तेदार की एक अन्य लड़की के साथ दूल्हे की शादी करवा दी।
अब पढ़िए यह सुसाइड नोट…
हम दोनों की मौत में हमारे परिवार की कोई गलती नहीं है। जो हम लोगों से गलती हो गई है उसकी सजा हम दोनों भुगत रहे हैं। हमें इसका पछतावा भी है लेकिन अब हम कर ही क्या सकते हैं…। हमें पछतावा है…हमारी गलती क्षमा के योग्य नहीं है। मेरे पिताजी रामबहादुर यादव ने हम दोनों के खिलाफ रिपोर्ट की है इसी को लेकर हम दोनों मजबूर हैं। इसमें किसी और की कोई गलती नहीं है। हम लोगों ने फैसला लिया कि हम अगर साथ जी नहीं सकते तो साथ मर तो सकते ही हैं। मैं शिल्पा सिंह लिखती हूं कि इसमें भानु के परिवार की कोई गलती नहीं है। उसके परिवार को बिल्कुल भी परेशान न किया जाए। प्यार हम दोनों ने किया है तो सजा हम ही भुगतेंगे…कोई और नहीं। मैं शिल्पा भानु के बगैर जी नहीं सकती इसलिए मैंने यह कदम उठाया और शादी के दिन घर से भाग निकली।
मुझे यह शादी बिल्कुल पसंद नहीं थी। भानु सिंह न चाहते हुए भी मेरे साथ आए…उनकी समाज में इज्जत है। लेकिन मेरे परिवार को मेरी खुशी देखी न गई और मुझे यह फैसला लेने पर मजबूर कर दिया।
शिल्पा सिंह और भानु सिंह अपनी मर्जी से यह कदम उठा रहे हैं, क्योंकि हमें लगता है कि इस समाज में हमारे लिए जीने की कोई जगह नहीं है। हमारी एक गलती से दोनों परिवार बर्बाद हो गए, इसका हमें बहुत दुख है। पापा, मुझे माफ कर देना। मेरे जानू (भानु) की इसमें कोई गलती नहीं है। मैं उससे बहुत प्यार करती हूं और उनके परिवार वालों की भी कोई गलती नहीं है। कृपया उन पर कोई रिपोर्ट न की जाए।
अगर मेरी जानकारी में पहले ही ये बात आ जाती कि उनके परिवार ने रिपोर्ट कर दी है, तो शायद मैं कुछ और सोच पाती। मैंने घर आकर सब बताने की कोशिश की, पर उन्होंने मना कर दिया। मेरे पापा श्री बहादुर यादव को भी ये बात बहुत परेशान कर रही थी। मैं यह खत किसी दबाव या जबरदस्ती में नहीं, बल्कि अपनी मर्जी से लिख रही हूं।
मामले में पुलिस ने घटना स्थल पर पहुंची। दोनों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।