सीएमएचओ डॉ. संजीव सक्सेना ने सभी अस्पतालों में रोगियों के लिए शुद्ध पेयजल की व्यवस्था, संस्थान में रोगी के उपचार के लिए आपातकालीन किट में ओआरएस, ड्रिपसेट सहित अन्य आवश्यक दवाइयां रखने के निर्देश दिए हैं। साथ ही चिकित्सा व्यवस्था सुचारू रखने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने बताया कि शरीर में लवण व पानी अपर्याप्त होने पर विषम गर्म वातावरण में तापघात से सिर का भारीपन व अत्यधिक सिरदर्द होने लगता है। इसके अलावा अधिक प्यास लगना, शरीर में भारीपन के साथ थकावट, जी मिचलाना, सिर चकराना व शरीर का तापमान बढऩा, पसीना आना बंद होना, मुंह का लाल हो जाना, त्वचा का सूखा होना, अत्यधिक प्यास का लगना व बेहोशी जैसी स्थिति का होना आदि लक्षण आने लगते हैं। ऐसे में रोगी को तुरंत छायादार जगह पर कपड़े ढीले कर लेटा दिया जाना चाहिए। रोगी को होश मे आने की दशा मे उसे ठण्डा पेय पदार्थ, जीवन रक्षक घोल, कच्चा आम का पन्ना दें। उन्होंने बताया कि यदि उक्त सावधानी के बाद भी मरीज ठीक नहीं होता है, तो उसे तत्काल निकट की चिकित्सा संस्थान ले जाया जाए। जिले के सभी चिकित्सा संस्थाओं पर गर्मी के दौरान माकूल व्यवस्थाएं की गई हैं।
जरूरी है सावधानी जहां तक सम्भव हो धूप में न निकलें, खासकर दोपहर 12 बजे से चार बजे तक विशेष ध्यान रखें। यदि निकलना बहुत जरूरी हो तो धूप में शरीर पूर्ण तरह से ढका हो। धूप में बाहर जाते समय हमेशा सफेद या हल्के रंग के ढीले व सूती कपड़ों का उपयोग करें। बहुत अधिक भीड़ व गर्म घुटन भरे कमरों से बचें। बिना भोजन किए बाहर न निकलें। गर्दन के पिछले भाग कान एवं सिर को गमछे या तौलिये से ढक कर ही जरूरी होने पर बाहर निकलें। रंगीन चश्में एवं छतरी का प्रयोग करें। गर्मी में हमेशा पानी अधिक मात्रा में पीयें एवं पेय पदार्थों जैसे ङ्क्षनबू पानी, नारियल पानी, ज्यूस आदि का प्रयोग करें।