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नौलाइयां जलाने वालों पर प्रशासन ने लगाया 15000 रुपए का जुर्माना

उपतहसील क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले किसान गेहूं की बची नौलाइयां जलाने की घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए तहसीलदार मांगरोल के नेतृत्व मे कृषि विभाग, राजस्व विभाग कि गठित टीम ने तीन किसानों पर कार्रवाई कर 15 हजार रुपये वसूले।

बारांApr 19, 2025 / 11:55 am

mukesh gour

उपतहसील क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले किसान गेहूं की बची नौलाइयां जलाने की घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए तहसीलदार मांगरोल के नेतृत्व मे कृषि विभाग, राजस्व विभाग कि गठित टीम ने तीन किसानों पर कार्रवाई कर 15 हजार रुपये वसूले।

उपतहसील क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले किसान गेहूं की बची नौलाइयां जलाने की घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए तहसीलदार मांगरोल के नेतृत्व मे कृषि विभाग, राजस्व विभाग कि गठित टीम ने तीन किसानों पर कार्रवाई कर 15 हजार रुपये वसूले।

पराली जलाने पर दी कार्रवाई करने की चेतावनी

सीसवाली. उपतहसील के खेतों में किसानों की ओर से लगातार फसलों के अवशेषों को जलाया जा रहा है। इससे न केवल मिट्टी खराब हो रही है, बल्कि प्रदूषण होने के साथ-साथ खेतों की उर्वरता, किसानों के सहायक कीट भी समाप्त हो रहे हैं। उपतहसील क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले किसान गेहूं की बची नौलाइयां जलाने की घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए तहसीलदार मांगरोल के नेतृत्व मे कृषि विभाग, राजस्व विभाग कि गठित टीम ने तीन किसानों पर कार्रवाई कर 15 हजार रुपये वसूले।
कानूनगो बंशीलाल मीणा ने बताया की जिला कलक्टर रोहिताश्व ङ्क्षसह तोमर के निर्देशानुसार नरोत्तम मीणा तहसीलदार मांगरोल के नेतृत्व मे कृषि विभाग, राजस्व विभाग कि गठित टीम ने खेतों में गेहूं की नौलाइयों को जलाते पाए गये अवतार ङ्क्षसह, बाबूलाल मीणा, पुत्र मन्नालाल, हजारीलाल मीणा पुत्र मन्नालाल पर प्रति व्यक्ति 5,000 रुपए का जुर्माना लगाते हुए उन्हें भविष्य में ऐसा न करने की चेतावनी दी। संयुक्त टीम ने मौके पर पहुंचकर पराली जलाने की घटनाओं की पुष्टि की और साक्ष्य एकत्र किए। इसके आधार पर नियमानुसार जुर्माना लगाया गया और संबंधित किसानों को आवश्यक कानूनी प्रक्रियाओं से अवगत कराया गया। टीम में नरोत्तम मीणा तहसीलदार मांगरोल,बंशीलाल मीणा कानूनगो, राधेश्याम मीणा पटवारी,भारतभूषण शर्मा पटवारी, अन्तिम कुमार मीणा कृषि पर्यवेक्षक मौजूद रहे।
कृषकों से की समझाइश

इस दौरान किसानों को पराली जलाने से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में बताया गया। टीम ने समझाया कि पराली जलाने से न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है, बल्कि इससे मिट्टी की उर्वरकता भी घटती है और स्वास्थ्य पर भी गंभीर असर पड़ता है। प्रशासन ने किसानों को पराली प्रबंधन के वैकल्पिक उपायों जैसे मल्चर, रोटावेटर, कटर आदि के उपयोग के लिए प्रेरित किया। प्रशासन ने उपतहसील क्षेत्र के किसानों से अपील की है कि वे पराली न जलाएं और पर्यावरण की सुरक्षा में प्रशासन का सहयोग करें। राज्य सरकार पराली प्रबंधन के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित कर रही है, जिसका लाभ उठाकर किसान जिमेदारी के साथ कृषि कार्य करें।
कार्रवाई करने की दी चेतावनी

प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया कि पराली जलाने की घटनाओं पर भविष्य में और अधिक कठोर कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए क्षेत्र में निगरानी बढ़ाई जाएगी और दोषियों पर जुर्माने के साथ-साथ कानूनी प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जाएगी।

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