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तीन आतंकियों के एनकाउंटर के बाद खालिस्तानी नेटवर्क पर शिकंजा, NIA और ATS के निशाने पर तराई के स्लीपिंग मॉड्यूल

पंजाब के गुरदासपुर जिले के तीन खालिस्तानी आतंकियों के एनकाउंटर के बाद पुलिस, एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी), और एटीएस (एंटी-टेररिस्ट स्क्वाड) पूरी तरह सक्रिय हो गई हैं।

बरेलीDec 25, 2024 / 09:01 am

Avanish Pandey

पीलीभीत। पंजाब के गुरदासपुर जिले के तीन खालिस्तानी आतंकियों के एनकाउंटर के बाद पुलिस, एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी), और एटीएस (एंटी-टेररिस्ट स्क्वाड) पूरी तरह सक्रिय हो गई हैं। मुठभेड़ में मारे गए आतंकियों का पोस्टमार्टम मंगलवार को कड़ी सुरक्षा और वीडियोग्राफी के बीच किया गया। तीन डॉक्टरों के एक पैनल ने पांच घंटे तक चले इस पोस्टमार्टम में आतंकियों को कुल छह गोलियां लगने की पुष्टि की।

आतंकियों की पहचान और कार्रवाई

मारे गए आतंकियों की पहचान 25 वर्षीय गुरविंदर सिंह, 23 वर्षीय वीरेंद्र सिंह उर्फ रवि, और 18 वर्षीय जसनप्रीत सिंह उर्फ प्रताप के रूप में हुई। तीनों पंजाब के गुरदासपुर जिले के निवासी थे। एनकाउंटर के बाद शव जिला अस्पताल में रखे गए और पुलिस ने एसडीएम की मौजूदगी में पंचायतनामा भरा। पोस्टमार्टम के बाद रिपोर्ट को सील बंद लिफाफे में शासन को भेजा गया।

तीन बदमाशों को मारी गईं छह गोलियां

तीनों शवों का एक्स-रे करने के बाद पुलिस सुरक्षा में पोस्टमार्टम हाउस लाया गया। परिजनों की अनुपस्थिति के कारण रातभर शव वहीं रखे गए। मंगलवार सुबह परिजनों के पहुंचने पर पोस्टमार्टम शुरू हुआ, जो शाम 6:30 बजे तक चला। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, गुरविंदर को तीन, वीरेंद्र को दो, और जसनप्रीत को एक गोली लगी थी।

स्लीपिंग मॉड्यूल्स पर जांच

एनआईए और एटीएस की जांच में यह बात सामने आई है कि तराई क्षेत्र, विशेष रूप से पीलीभीत का पूरनपुर इलाका, खालिस्तानी गतिविधियों का गढ़ रहा है। एजेंसियां यहां के स्लीपिंग मॉड्यूल्स और उनके मददगारों की जानकारी जुटा रही हैं। पूर्व में भी पीलीभीत में खालिस्तानी गतिविधियों से जुड़े मामले सामने आ चुके हैं।

मोबाइल फोन और डाटा रिकवरी

मुठभेड़ में मारे गए आतंकियों के पास से तीन मोबाइल बरामद हुए हैं, जिन्हें पुलिस ने जांच के लिए सील कर दिया है। ये मोबाइल विधि विज्ञान प्रयोगशाला में भेजे जाएंगे। एसपी अविनाश पांडे ने बताया कि मोबाइल की जांच के बाद मामले में अहम जानकारियां सामने आ सकती हैं।

90 के दशक में चरम पर था उग्रवाद

जांच एजेंसियां 90 के दशक से इस इलाके में खालिस्तानी गतिविधियों और आतंकी घटनाओं का रिकॉर्ड खंगाल रही हैं। पूर्व में अमृतपाल सिंह और गैंगस्टर राजेश डोगरा से जुड़े मामलों का पीलीभीत कनेक्शन भी सामने आ चुका है।

नेटवर्क ध्वस्त करने की तैयारी

एनआईए और एटीएस की टीमें स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर आतंकियों के पूरे नेटवर्क को ध्वस्त करने की रणनीति पर काम कर रही हैं। स्थानीय लोगों से भी इन घटनाओं पर प्रतिक्रिया ली जा रही है।

बीसलपुर इंस्पेक्टर को विवेचना की जिम्मेदारी

मामले की जांच की जिम्मेदारी बीसलपुर इंस्पेक्टर संजीव शुक्ला को सौंपी गई है। उन्होंने घटनास्थल का दौरा कर साक्ष्य जुटाए और क्षेत्र का नक्शा तैयार किया।
इस घटना के बाद पीलीभीत समेत पूरे तराई क्षेत्र में खालिस्तानी नेटवर्क पर शिकंजा कसने की कवायद तेज हो गई है। एनआईए और एटीएस की टीमें लगातार सक्रिय हैं और आतंकियों के मददगारों की पहचान कर रही हैं।

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