वीरवती ने नवंबर 2024 में सीडीपीओ द्वारा पैसे मांगने पर उन्हें उनकी गाड़ी में ही 70 हजार रुपये दिए। महिला ने इस दौरान मोबाइल से वीडियो बनाकर सबूत इकट्ठा कर लिया। जब चयनित अभ्यर्थियों की सूची जारी हुई और वीरवती का नाम उसमें नहीं था, तो उसने सीडीपीओ से संपर्क किया। लेकिन सीडीपीओ ने फॉर्म में खामियों का हवाला देकर बातचीत खत्म कर दी।
इसके बाद वीरवती ने बरेली के मुख्य विकास अधिकारी (CDO) जग प्रवेश से मिलकर वीडियो के साथ शिकायत दर्ज कराई। मामले की गंभीरता को देखते हुए सीडीओ ने वीडियो सहित विस्तृत रिपोर्ट महिला एवं बाल विकास विभाग के निदेशक और प्रमुख सचिव को भेजी और सीडीपीओ के विरुद्ध बर्खास्तगी की संस्तुति की है।
सीडीपीओ से सभी कार्यभार वापस लिए गए
सीडीओ जग प्रवेश ने पुष्टि की कि वीडियो में सीडीपीओ रिश्वत लेते स्पष्ट रूप से दिख रहे हैं। उन्होंने कहा, “मैंने शासन को कठोर कार्रवाई की संस्तुति के साथ रिपोर्ट भेज दी है और सीडीपीओ कृष्ण चंद्र से सभी चार्ज हटा दिए गए हैं।”
भर्ती में फर्जी दस्तावेजों की भी जांच
उधर, आंगनबाड़ी भर्ती में फर्जी दस्तावेजों के इस्तेमाल की शिकायतें भी सामने आई हैं। डीपीओ (जिला कार्यक्रम अधिकारी) मनोज कुमार ने बताया कि कई चयनित अभ्यर्थियों के आय, जाति और निवास प्रमाण पत्रों की जांच के लिए फाइलें संबंधित एसडीएम को भेज दी गई हैं। यदि जांच में प्रमाण पत्र फर्जी पाए जाते हैं तो संबंधित अभ्यर्थियों की नियुक्ति रद्द कर दी जाएगी। बता दें कि बरेली जिले में 301 आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की भर्ती प्रक्रिया नवंबर 2024 में शुरू हुई थी। अधिकांश अभ्यर्थियों ने कार्यभार ग्रहण कर लिया है, लेकिन सूची जारी होने के बाद से लगातार अनियमितताओं की शिकायतें मिल रही हैं। जिलाधिकारी के निर्देश पर डीपीओ चयनित अभ्यर्थियों के दस्तावेजों की गहन जांच करवा रहे हैं।