पूरा मामला ऑनलाइन आईजीआरएस पोर्टल पर दर्ज शिकायत और ग्रामीणों द्वारा आपूर्ति कार्यालय को सौंपे गए प्रार्थनापत्र के बाद शुरू हुआ। जांच के लिए 1 जुलाई को पूर्ति निरीक्षक ललित भटनागर मौके पर पहुंचे, लेकिन विक्रेता की दुकान बंद मिली। पूछताछ में 34 राशन कार्डधारकों ने बताया कि विक्रेता या तो राशन कम देता है या अंगूठा लगवाकर कई चक्कर कटवाता है। कई लाभार्थियों ने आरोप लगाया कि राशन न मिलने की बात कहने पर विक्रेता अभद्र व्यवहार करता है।
टीम की संयुक्त जांच में हुआ बड़ा खुलासा
नायब तहसीलदार अजय सिंह, पूर्ति निरीक्षक ललित भटनागर और कनिष्ठ सहायक इमरान की टीम ने जब दुकान पर स्टॉक का सत्यापन किया तो वहां केवल 6.62 कुंटल चावल और 1.29 कुंटल गेहूं पाया गया, जबकि विभागीय पोर्टल पर जून व जुलाई महीने में विक्रेता को 94.13 कुंटल चावल और 39.95 कुंटल गेहूं आवंटित होना दर्ज है। यानी दुकान से लगभग 87.51 कुंटल चावल और 38.66 कुंटल गेहूं गायब मिला। चीनी का स्टॉक भी पूरी तरह शून्य था, जबकि पोर्टल पर उसका भी आवंटन दर्शाया गया था। विक्रेता ने जांच टीम को बताया कि दुकान के अलावा अन्य कहीं कोई भंडारण नहीं है।
डीएम के आदेश पर दर्ज हुई एफआईआर
पूर्ति विभाग की रिपोर्ट उपजिलाधिकारी फरीदपुर के माध्यम से जिलाधिकारी को भेजी गई। मामले की गंभीरता को देखते हुए 11 जुलाई को जिलाधिकारी अभिनाश सिंह ने अभियोग पंजीकरण की अनुमति दी। उसी दिन बिथरी चैनपुर थाने में मुकदमा दर्ज किया गया। फरीदपुर पूर्ति निरीक्षक ललित भटनागर ने बताया कि विक्रेता सुरेन्द्र पाल की ई-पॉस मशीन, ई-वेटिंग कांटा, आईरिस डिवाइस सहित शेष खाद्यान्न स्टॉक को सील कर पास के उचित दर विक्रेता अरविंद कुमार की निगरानी में सौंप दिया गया है।
जनता बेहाल, विक्रेता मालामाल
जांच में यह भी सामने आया कि अंत्योदय योजना और पात्र गृहस्थी कार्डधारकों को हर महीने मिलने वाला निर्धारित राशन नहीं दिया जा रहा था। किसी को 35 किलो की जगह 18 किलो राशन मिला तो किसी को अंगूठा लगवाने के बावजूद कई चक्कर लगाने पड़े। शिकायत करने पर विक्रेता गाली-गलौज करता था। फिलहाल विभाग ने जांच रिपोर्ट के आधार पर कठोर कार्रवाई की तैयारी शुरू कर दी है।