जब पीड़ितों को इसका पता चला तो वे पहले एसएसपी कार्यालय पहुंचे, लेकिन व्यस्तता के कारण वहां सुनवाई नहीं हो सकी। इसके बाद सभी ने एडीजी जोन बरेली के कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई।
40 साल से ले रही थी लोगों की जमा राशि
पीड़ित सत्येंद्र जैन ने बताया कि आरोपी इंद्रा जौहरी, जो बानखाने डाकघर की एजेंट थी और लंबे समय से इसी क्षेत्र में रह रही थी, उसने वर्षों तक लोगों से एफडी और किस्तों के नाम पर पैसे लिए। लेकिन पिछले तीन-चार वर्षों से, अपने पति के निधन के बाद, उसने लोगों के करीब 50 लाख रुपये से अधिक गबन कर लिए। आशंका जताई जा रही है कि यह ठगी करोड़ों में भी हो सकती है, क्योंकि अभी कई लोग मामले से अनजान हैं।
नकली डाकघर की किताब पर चढ़ाए गए पैसे
पीड़ितों का आरोप है कि इंद्रा जौहरी नकली डाकघर की पासबुक में जमाओं की एंट्री दिखाती थी, जिससे लोगों को धोखे में रखा गया। अमरीश कुमार सक्सेना ने बताया कि जब एजेंट की मौत की खबर आई, तब उन्हें गबन का पता चला। मामले को और गंभीर बनाते हुए, एजेंट का बेटा ईशान जौहरी उर्फ ईशान सुंदरम और उसकी पत्नी कायनात सैफी उर्फ कायनात जौहरी भी कभी-कभी लोगों से किस्त लेने आते थे।
डाकघर कर्मचारियों की मिलीभगत की आशंका
पीड़िता स्नेहलता ने सवाल उठाया कि अगर उनकी किस्तें डाकघर में जमा नहीं हो रही थीं, तो डाकघर के कर्मचारियों ने इसकी सूचना क्यों नहीं दी? इससे कर्मचारियों की मिलीभगत की आशंका बढ़ रही है। उन्होंने मांग की कि मामले की गहन जांच होनी चाहिए।
पीड़ितों ने मांगा इंसाफ
पीड़ितों ने एडीजी जोन बरेली से मांग की कि चूंकि उन्होंने सरकार के अधीन डाकघर में पैसे जमा कराए थे, इसलिए या तो महिला की संपत्ति नीलाम कर रकम वापस कराई जाए या फिर डाकघर के कर्मचारियों पर कार्रवाई कर उनका पैसा लौटाया जाए। एडीजी ने जांच का आश्वासन दिया है।
शिकायत करने वालों में ये शामिल
शिकायत दर्ज कराने वालों में कृष्ण मोहन सक्सेना, उमेंद्र कुमार जैन, मीना सक्सेना, मिलन सक्सेना, दीक्षा सक्सेना, सुधा सैनी, सचिन सेठ, अभय सक्सेना, अनमोल सक्सेना, अनामिका सक्सेना सहित कई अन्य पीड़ित शामिल थे। सभी ने लिखित शिकायत एडीजी जोन बरेली को सौंपी है।