बारादरी क्षेत्र निवासी एक विधवा महिला ने अपनी पुत्री की शादी थाना सुभाषनगर के करगैना निवासी नईम पुत्र शकील से तय की थी। शादी की तारीख 22 जून 2025 तय हुई थी। प्रार्थिनी ने शादी के लिए मैरिज हॉल, कैटरिंग, जेवरात और अन्य व्यवस्थाओं पर करीब 3 से 4 लाख रुपये खर्च कर दिए थे।
बेटा पैरालिसिस, उधार रुपए लेकर हो रही थी शादी
पीड़िता का कहना है कि उसका एक बेटा भी है, जो पैरालिसिस का मरीज है। परिवार की कोई आमदनी नहीं है। इसके बावजूद उन्होंने रिश्तेदारों से उधार लेकर बेटी की शादी के लिए जैसे-तैसे इंतजाम किया। मंगनी के मौके पर नईम को सोने की अंगूठी, उसकी मां को सोने के टॉप्स और पायल, बहन को चांदी की जेबरी व कपड़े आदि भी दिए गए। इन सब पर लगभग डेढ़ लाख रुपये का खर्च आया। शादी के कुछ दिन पहले ही लड़के नईम, उसके पिता शकील, मां फूलबानो, बहनोई तसलीम, बहन रिजवाना व अन्य रिश्तेदारों ने दहेज में बुलेट मोटरसाइकिल की मांग कर दी और धमकी दी कि अगर बाइक नहीं मिली तो बारात लेकर नहीं आएंगे और नईम की शादी कहीं और कर देंगे।
रिपोर्ट दर्ज कर मामले की जांच में जुटी पुलिस
लड़के वालों ने बातचीत बंद कर दी और शादी तोड़ दी। इससे मां-बेटी बुरी तरह टूट गई हैं। दोनों की तबीयत बिगड़ गई है और घर का माहौल गमगीन है। पीड़िता ने इस मामले की शिकायत सुभाषनगर पुलिस से की। पुलिस ने पीड़िता की तहरीर के आधार पर लड़के व उसके पिता, मां, बहन और बहनोई पर रिपोर्ट दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। दहेज के लालच में टूटी इस शादी ने समाज में एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर कब तक बेटियों को दहेज की बलि चढ़ाया जाएगा।