इस तरह कर सकते हैं डीएपी की पहचान
प्रदेश में गत दिनों से नकली खाद बनाने की फैक्टरियों का खुलासा किया गया है। इसके बाद किसान खाद की गुणवत्ता को लेकर काफी परेशान हैं। कृषि विभाग ने किसानों से असली डीएपी खाद की पहचान के नुस्खे बताए है। कृषि अधिकारी ने बताया कि किसान डीएपी के कुछ दानों को हाथ में लेकर तंबाकू की तरह उसमें चूना मिलाकर मले। यदि उसमें से तेज गंध निकले, जिसे सूंघना मुश्किल हो जाए तो समझे कि यह डीएपी असली है। असली डीएपी के दाने कठोर, भूरे, काले और बादामी रंग के होते हैं और नाख़ून से आसानी से नहीं टूटते है।
जिलों के अधिकारियों को दिए जांच के आदेश
प्रदेश में नकली खाद, बीज एवं कीटनाशकों की बढ़ती बिक्री पर नकेल कसने के लिए अतिरिक्त निदेशक कृषि (तिलहन) ने अलवर, भरतपुर, डीग, धौलपुर, सवाईमाधोपुर, करौली के संयुक्त निदेशकों को जिले में बेहतर गुणवत्ता के किसानों को कृषि आदान उपलब्ध कराने के साथ अधिकारियों को कार्रवाई के अधिकार दिए हैं। इसके चलते भरतपुर संभाग के पांचों अधिकारियों को जांच के अधिकारी दिए हैं। जो निचले स्तर पर खाद-बीज पर निगरानी रखेंगे।लम्बित अमानक कृषि आदानों में 27 जून तक इस्तगासा दायर करने के निर्देश
-अधिकारी कार्यक्षेत्र में कहीं भी कृषि आदानों का अवैध भण्डारण एवं बिक्री नहीं हो यह सुनिश्चित करें।-यूरिया का गैर कृषि कार्यों में उपयोग को रोकने के लिए प्रभावी कार्यवाही की जावे।
-समस्त कृषि आदान निर्धारित दर पर कृषकों को उपलब्ध हो तथा किसी भी आदान की कृषि आदान की टैगिंग नहीं हो यह सुनिश्चित करे।
-गत वर्षों के लम्बित अमानक कृषि आदानों में 27 जून 2025 तक इस्तगासा दायर कराना सुनिश्चित करें, अन्यथा दोषी निरीक्षक का नाम अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए प्रस्तावित की जाए।
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अधिकारियों को किया पाबंद
जिलों के संयुक्त निदेशकों को निर्देशित किया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में बिना अनुज्ञापत्र के किसी भी प्रकार का कृषि आदान (बीज, उर्वरक एवं कीटनाशी रसायन) की बिक्री नहीं की जाए। इसके लिए पंचायत समितिवार प्रभारी कृषि अधिकारी मनोनीत किया जाए व क्षेत्रीय सहायक कृषि अधिकारी एवं कृषि पर्यवेक्षक को पाबंद किया जाए।-देशराज सिंह, अतिरिक्त निदेशक कृषि भरतपुर