हैकर्स ने अपना सिग्नेचर मोनो भी वेबसाइट के होमपेज पर छोड़ दिया। मैसेज में लिखा कि, भारत अगर अगली बार पाकिस्तान के बॉर्डर में घुसा या पाकिस्तान की साइबर फैसेलिटी में सेंध लगाने की कोशिश की तो यह हैकर्स और भी अधिक नुकसान पहुंचाएंगे।
इस हैकर्स समूह ने हेमचंद विश्वविद्यालय के पेज पर कई गालियां और अपशब्द भी लिखे। हैक हुई वेबसाइट को लेकर हेमचंद विश्वविद्यालय प्रशासन पूरी तरह अनजान रहा। वेबसाइट हैकिंग की सूचना सबसे पहले पत्रिका ने कुलपति को दी। रात ८ बजे तक भी वेबसाइट को सुधारा नहीं जा सका था।
दूर बैठकर सेखी बघार रहे हैकर्स हैकर्स ने वेबसाइट पर किए गए पोस्ट में लिखा कि, तुम क्या सोचते हो तुम कौन हो? साला सुपरमैन या आयरनमैन तुम गली के चूहे और भेड़ से ज्यादा कुछ नहीं हो। ध्यान रखो, भारत में हैकर बनाए जाते हैं लेकिन पाकिस्तान में हैकर पैदा होते हैं! फर्क महसूस करो। धमकाते हुए आगे लिखा कि, अगली बार अगर तुमने हमारी सीमाओं या साइबर स्पेस पर हमला करने की कोशिश की तो (अपशब्द) अच्छा नहीं होगा।
तुम लोगों को लगता है कि, तुहारे पास एटम बम है और तुम पाकिस्तान को कुछ ही घंटों में नष्ट कर सकते हो? अरे यार जाओ और खुद को मार डालो। अगर तुम एटम बम चलाने की सोच रहे हो तो ध्यान रखो तुहारा आधा देश नष्ट हो जाएगा, लेकिन हम इसे भारत पर बिना किसी नुकसान के चला सकते हैं।
खराब सिक्योरिटी, आसानी से हैक आम तौर पर हैकर्स वेबसाइट को हैक करने के बाद रैनसम की मांग करते हैं। वेबसाइट एक्सपर्ट स्मार्ट है तो इसे ठीक करना आसान होता है, नहीं तो हैकर्स वेबसाइट पर मौजूद डाटाबेस को डिलीट कर सकता है। किसी भी वेबसाइट में घुसना हैकर्स के लिए बेहद आसान होता है। वेबसाइट सिक्योरिटी को तोड़कर कोड चेंज कर सकते हैं। जो वेबसाइट हैक हुई है, उसके लिए बैकअप होना जरूरी है। क्योंकि हैक हुई वेबसाइट को पूरी तरह से डिलीट करके फिर से नए कोड के साथ रीस्टार्ट करना होता है। डॉ. संतोष बिश्वास, प्रोफेसर सीएस, आईआईटी भिलाई
वेबसाइट नहीं खोल पाए विद्यार्थी हेमचंद विश्वविद्यालय की हैक्ड वेबसाइट दोपहर से ही बार-बार क्रैश हो रही थी। वहीं शाम को इस पर पाकिस्तानी हैकर्स ने कब्जा कर लिया। विद्यार्थियों ने जब कॉलेजों के प्रवेश आवेदन जमा करने के लिए ब्राऊजर पर हेमचंद विश्वविद्यालय का डोमेन नेम डाला तो उनके होश उड़ गए। सभी ने वेबसाइट पर पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे देखे। लंबे समय से हैक रही वेबसाइट की जानकारी खुद से आला अधिकारियों को नहीं मिली, न एजेंसी के लोगों को इसका पता चला। एक्सपर्ट्स का कहना है कि, आम तौर पर सुरक्षित वेबसाइट पर हुए साइबर अटैक की जानकारी डवलपर्स को समय पर मिल जाती है। जिससे जोखिम को कम किया जा सकता है।
थर्ड पार्टी एजेंसी ने बनाई वेबसाइट हेमचंद यादव विश्वविद्यालय की यह वेबसाइट थर्ड पार्टी एजेंसी ने तैयार की है। एजेंसी बाहरी है, जिसके कुछ लोग हेमचंद विश्वविद्यालय में रहकर कामकाज देखते हैं। यही एजेंसी विश्वविद्यालय के प्री और पोस्ट एग्जाम से जुड़े कामकाज भी संभालती है। इसी एजेंसी की जिमेदारी काॅंलेज एडमिशन फार्म और परीक्षा आवेदन की ऑनलाइन स्तर पर व्यवस्था करना भी है। वेबसाइट हैकिंग की जानकारी कुलसचिव को रात तक भी नहीं थी। इधर, उधर के फोन से उन्हेें मालूमात हुई। इसके बाद एजेंसी को जानकारी दी गई। इससे रात को करीब ८ बजकर १० मिनट पर सर्वर को बंद किया गया और एजेंसी ने वेबसाइट को सुधारने की कार्रवाई शुरू की।
सर्वर बंद कर एजेंसी को कहा गया है सुधारने एजेंसी को इसे सुधारने के लिए कहा गया है। सर्वर को बंद कर दिया गया था, ताकि हैकर्स डाटाबेस को नुकसान न पहुंचा सके। इसे ठीक कर लेंगे।
डॉ. संजय तिवारीकुलपति, हेमचंद विश्वविद्यालय