आरओडीटीईपी योजना में निर्यात उत्पादों पर शुल्कों और करों की छूट योजना के तहत उन करों, शुल्कों और शुल्कों की वापसी का प्रावधान करती है जो निर्यातकों की ओर से वस्तुओं के विनिर्माण और वितरण की प्रक्रिया में खर्च किए जाते हैं। इनकी क्षतिपूर्ति केंद्र सरकार अपने स्तर पर करती थी। वह अब बंद हो गई है। इसमें निर्यातकों को इनपुट उत्पादों पर लगने वाले केंद्रीय और राज्य शुल्क, कर, लेवी वापस कर दिए जाते हैं। निर्यातकों को मिलने वाली छूट की दरें 0.3 प्रतिशत से 4.3 प्रतिशत के बीच थी।
यह जारी किया आदेश सीमा शुल्क विभाग की ओर से 2 जनवरी को जारी एडवाइजरी से कहा कि 31 दिसंबर 2024 के बाद के निर्यात के लिए, अग्रिम प्राधिकरण, ईओयू, एसईजेड योजनाओं के तहत निर्यात सामान अब आरओडीटीईपी लाभों के लिए पात्र नहीं होंगे।
टेक्सटाइल निर्यात में गिरावट देश में टेक्सटाइल निर्यात में पहले से गिरावट है। इसका मुख्य कारण दो साल से रूस-यूक्रेन युद्ध, इजराइल व बाग्लादेश में हालात सामान्य न होना। डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होना सबसे बड़ा कारण है। अमरीका और यूरोप में आर्थिक सुस्ती के चलते वहां से आने वाले ऑर्डरों में कुछ महीने से कमी आई है। भीलवाड़ा की टेक्सटाइल इकाइयों ने मार्च 2024 तक 7600 करोड़ का निर्यात किया था। दिसंबर 2024 तक मात्र 5 हजार करोड़ का टेक्सटाइल निर्यात हो पाया।
निर्यातकों के सामने आएगी समस्या आरओडीटीईपी योजना बंद होने से निर्यातकों के सामने संकट खड़ा हो जाएगा। निर्यात माल की कीमत 5 से 6 प्रतिशत बढ़ेगी। अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहले से अस्थिरता है। मुद्रा बाजार भी अस्थिर है। निर्यातक पहले ही संकट में है। योजना बंद होने से और ज्यादा असर पड़ेगा। लागत बढ़ेगी। लाभ मार्जिन गिरेगा। अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रभावी रूप से प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता प्रभावित होगी। निर्यात में गिरावट आएगी। योजना बंद होने से निर्यातकों को आयातित इनपुट पर चुकाए शुल्क और करों पर रिफंड नहीं मिलेगा। इससे उत्पादन लागत बढ़ेगी। देश से कपड़ा, यार्न, डेनिम उत्पादों के निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। उत्पादन लागत बढ़ने के कारण, निर्यातकों को अपने निर्यात मूल्यों में वृद्धि करनी पड़ेगी। इससे वैश्विक बाजार में उनके उत्पाद कम प्रतिस्पर्धी हो सकते हैं।
आरके जैन, महासचिव मेवाड़ चैम्बर ऑफ काॅमर्स भीलवाड़ा