बिजलीें की दरें अधिक, पलायन हो रहा आरटीएमए की ओर से लिखे पत्र में कहा गया कि टेक्सटाइल उद्योग के लिए सबसे प्रमुख चिंताओं में से एक बिजली की सबसे अधिक दरों को लेकर है। अन्य राज्यों के मुकाबले राजस्थान में सबसे अधिक बिजली की दरे होने से लागत मूल्य में भी वृद्धि हो रही है। इसके चलते भीलवाड़ा के कई उद्योगों ने अपना विस्तार पर रोक लगाते हुए मध्यप्रदेश की ओर पलायन कर दिया है। जबकि भीलवाड़ा टेक्सटाइल उद्योग की देश में ही नहीं विदेश में भी अलग पहचान है।
योजना अच्छी, अपने ही अवरोध बनें केंद्र व राज्य सरकार की पीएम कुसुम योजना उद्योगों व किसानों के लिए अच्छी है। उद्यमी भी अपने विस्तारीकरण के साथ सोलर प्लांट लगा रहे है। लेकिन अधिकारी व जनप्रतिनिधि की ओर से अवरोध खड़ा करने से सोलर प्लांट से बिजली उद्योगों को नहीं मिल रही। जबकि राजस्थान सरकार ने बिजली की लाइन डालने के लिए किसानों को डीएलसी दर का 200 प्रतिशत व कोरिडोर एरिया बनाने पर डीएलसी दर का 30 प्रतिशत अधिक मुआवजा देने का प्रावधान किया है। इसके लिए उद्यमी व किसान भी तैयार है, लेकिन जनप्रतिनिधि किसानों को न तो मुआवजा लेने देते है और ना अधिकारी इस काम को गति देते है।
200 प्रतिशत सोलर क्षमता योजना का लाभ नहीं मुख्यमंत्री ने बजट चर्चा का जवाब देते हुए 29 जुलाई को ऊर्जा उत्पादन के लिए केप्टिव पावर उत्पादन की सीमा 100 से बढ़ाकर 200 प्रतिशत करने की घोषणा की थी। इसका लाभ उद्योगों को अधिकारियों की कार्यशैली व जनप्रतिनिधियों के दखल से नहीं मिल रहा। राइजिंग राजस्थान के तहत किए एमओयू भी खटाई में पड़ रहे है। दखल को नहीं रोका तो उद्योगों को चलाना मुश्किल होगा।
– एसएन मोदानी, चेयरमैन आरटीएमए