प्रदेश में नए तरीके से साइबर ठगी के मामले सामने आने लगे हैं। आने वाले दिनों में जिले में इस खतरे के भी दस्तक देने से इनकार नहीं किया जा सकता। इस नए तरीके में जालसाज की ओर से मोबाइल पर फोटो, पीडीएफ, विवाह व आयोजनों के कार्ड की पीडीएफ आदि भेजी जाती है। उसे डाउनलोड करते ही उस फोटो या पीडीएफ में छुपा एक ऐप मोबाइल में डाउनलोड हो जाता है। मोबाइल जालसाज के नियंत्रण में आ जाता है। इसके बाद वह तुरंत बैंक खाते से पूरा पैसा निकाल लेते हैं।
मोबाइल में अनजान नम्बर से फोटो या पीडीएफ आदि आने पर उसकी साइज पर ध्यान जरूर दें। फोटो ज्यादातर केबी में होते हैं। विवाह आदि की पीडीएफ भी अधिक बड़ी नहीं होती है। जबकि उनमें छुपा ऐप होने पर साइज बड़ी होती है। यदि फोटो या पीडीएफ डाउनलोड होने पर ऐप का पता चले तो तुरंत फोन स्वीच ऑफ कर साइबर थाने में बताना चाहिए।
मोबाइल में ऑटोमैटिक डाउनलोड की सुविधा का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। ऑटो डाउनलोड ऑप्शन चालू होने पर मोबाइल धारक तो पता नहीं चलेगा कि कब उनके फोन में ठगों का ऐप डाउनलोड हो गया। अनजान नंबर से फोटो या मैसेज को नजरअंदाज करें। संदिग्ध लगने पर फोटो भेजने वाले नंबर को ब्लॉक करें।
यूं करते हैं ठगी की वारदात
जालसाज अनजान लोगों को फोटो भेजते हैं। लोग इन्हें डाउनलोड नहीं करते तो फोन कर फोटो पहचानने का हवाला देकर जाल में फंसाने की कोशिश करते हैं। जालसाज ठगी के लिए फोटो के नीचे ऐसी बात लिखते हैं। जिसे पढ़कर लोग को फोटो या पीडीएफ डाउनलोड कर ही लेते हैं।
सावधानी ही बचाव
साइबर ठग लोगों का पैसा चुराने के लिए रोज नए तरीके अपनाने रहे हैं। इनसे बचने के लिए लोगों को सतर्क रहना चाहिए। इसमें लापरवाही घातक हो सकती है। अनजान नंबर से आए मैसेज, फोटो या फोन कॉल पर भरोसा नहीं करें। इसकी शिकायत साइबर सेल से करें। धर्मेन्द्र सिंह यादव , पुलिस अधीक्षक भीलवाड़ा