scriptराजस्थान के इस जिले में तीसरी संतान होने पर दंपती को दी जाएगी 50 हजार की FD, 7 परिवारों को दिया गया पैसा | Rajasthan Bhilwara FD of Rs 50 thousand will be given on having third child decision of Maheshwari society | Patrika News
भीलवाड़ा

राजस्थान के इस जिले में तीसरी संतान होने पर दंपती को दी जाएगी 50 हजार की FD, 7 परिवारों को दिया गया पैसा

Bhilwara News: राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में माहेश्वरी समाज के लोगों ने एक अनोखा फैसला लिया है। समाज के मुताबिक, तीसरी संतान होने पर 50 हजार की एफडी दी जाएगी।

भीलवाड़ाJun 20, 2025 / 11:08 am

Arvind Rao

भीलवाड़ा में माहेश्वरी समाज (सांकेतिक तस्वीर, फोटो- एआई)

Bhilwara News: भीलवाड़ा: अखिल भारतीय माहेश्वरी सेवा सदन पुष्कर की ओर से माहेश्वरी समाज की घटती जनसंख्या से निपटने के लिए एक अनोखा फैसला किया गया है। समाज में तीसरी संतान होने पर 50 हजार रुपए की एफडी दंपती को दी जाएगी।

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बता दें कि अखिल भारतीय माहेश्वरी सेवा सदन पुष्कर के अध्यक्ष रामकुमार भूतडा के निर्देश पर गुरुवार को भीलवाड़ा में शाम की सब्जी मंडी स्थित इन्द्रप्रस्थ टॉवर में तीसरी संतान होने पर सात परिवारों को 50-50 हजार रुपए की एफडी प्रदान की गई।

ये लोग रहे मौजूद


इस दौरान महासभा कार्यसमिति सदस्य कैलाश कोठारी, पुष्कर सेवा सदन उपाध्यक्ष अनिल बांगड़, भीलवाड़ा जिला माहेश्वरी सभा अध्यक्ष अशोक बाहेती, पुष्कर सेवा सदन कार्यकारणी सदस्य सुरेश कचौलिया, संजय जागेटिया, विशेष आमंत्रित सदस्य रमेश राठी, मनोहरलाल अजमेरा, कृष्णगोपाल सोडानी, लक्ष्मीनारायण काबरा, अशोक चेचाणी, पंकज पोरवाल सहित कई समाजजन उपस्थित रहे। पुष्कर सेवा सदन उपाध्यक्ष अनिल बांगड ने बताया की यह फैसला सदन की वार्षिक साधारण सभा में किया गया।
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माहेश्वरी समाज के बारे में


राजस्थान में माहेश्वरी समाज एक प्रतिष्ठित और संगठित वैश्य समुदाय है, जिसकी पहचान व्यापार, शिक्षा, सेवा और सामाजिक उत्तरदायित्व के क्षेत्र में अहम मानी जाती है। यह समाज मुख्यतः हिंदू धर्म का अनुयायी है और इनकी उत्पत्ति मारवाड़ (राजस्थान) से मानी जाती है।


इतिहास और उत्पत्ति


-माहेश्वरी समाज की उत्पत्ति 11वीं-12वीं शताब्दी में मानी जाती है।
-परंपरा के अनुसार, यह समाज भगवान महेश (शिव) के नाम पर बना है, जब 72 क्षत्रियों ने एक युद्ध के बाद हिंसा त्याग दी और वैश्य धर्म अपना लिया।
-इन्होंने अपने जीवन का उद्देश्य व्यापार, सेवा और धर्म बनाया।

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