राज्य के किसी भी सरकारी मेडिकल कॉलेज में कैंसर के मरीजों को रेडिएशन थेरेपी देने के लिए अति आवश्यक लीनियर एक्सीलेटर (एलआइएनएसी) मशीन और ब्रेची थेरेपी यूनिट नहीं है। नतीजा मरीज बिना आवश्यक रेडिएशन थेरेपी के अस्पताल से लौट जा रहे हैं। चिकित्सा शिक्षा निदेशालय व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने इसकी पुष्टि की है। सहडौल, शिवपुरी और सिंगरौली में स्थापित तीन नए मेडिकल कॉलेजों में ब्लड बैंक की यूनिट काम नहीं कर रही है।
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भोपाल में कुछ निजी अस्पताल भी कैंसर के अत्याधुनिक उपचार करने में आगे हैं, लेकिन सरकारी अस्पतालों में सिर्फ जवाहर लाल नेहरू कैंसर अस्पताल और एस में कैंसर का इलाज होता है। यहां अधिक दबाव के कारण जांच और थेरेपी के लिए मरीजों को लंबा इंतजार करना पड़ता है।
जल्द मशीन मिलने की उम्मीद
गांधी मेडिकल कॉलेज की डीन डॉ. कविता एन सिंह का कहना है कि, गांधी मेडिकल कॉलेज में जीएमसी में लीनियर एक्सीलेटर मशीन नहीं है। टेंडर जारी कर दिया गया है। उमीद है जल्द ही ये मशीन उपलब्ध हो जाएगी।
किस वर्ष में मिले कितने कैंसर पेशेंट?
-साल 2018 में कैंसर के कुल 73,957 मरीज मिले, जिनमें से 40,798 की मौत हो गई। -साल 2019 में कैंसर के कुल 75,911 मरीज मिले, जिनमें से 41,876 की मौत हो गई। -साल 2020 में कैंसर के कुल 77888 मरीज मिले, जिनमें से 42,966 की मौत हो गई। -इस तरह महज तीन साल में कुल कैंसर से 2,27,756 ग्रस्त हुए, जिनमें से 1,25,640 की मौत हो गई।
स्रोत: लोकसभा में पेश रिपोर्ट