यह हर्बल गार्डन ऐसा पहला गार्डन होगा जहां एमबीबीएस और पीजी के स्टूडेंट्स औषधीय पौधों से सस्ता और पारंपरिक इलाज करेंगे। साथ ही पहली बार औषधीय पौधों के सत्व यानी उनमें पाए जाने वाले औषधीय गुणों पर फार्माकोलॉजी के स्टूडेंट्स रिसर्च करेंगे। एम्स (AIIMS Bhopal) में जड़ी-बूटियों के खजाने को सहेजने के काम में बाबा रामदेव की पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन (Patanjali) सहयोग करेगा। दोनों मिलकर प्रदेश इस हर्बल गार्डन को बनाएंगे।
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रिच ट्राइबल मेडिसिन को सहेजेंगे प्रदेश के आदिवासी समुदाय और बैगाओं के पास पेड़-पौधों, जड़ों, पत्तियों और छालों से बीमारियों का इलाज का बहुत कारगर नुस्खा है। इनकी जड़ी-बूटियों का अभी तक आधुनिक विज्ञान ने परीक्षण नहीं किया है। इन ट्राइबल मेडिसिन पर एम्स रिसर्च करेगा। ताकि पुरातन ज्ञान संरक्षित हो सके।
दुलर्भ प्रजातियों का संरक्षण
एग्जॉटिक यानी दुर्लभ और खास जड़ी-बूटियों के पौधों को भोपाल के वातावरण में जिंदा रखने आर्टिफिशियल सेटअप यानी नकली वातावरण तैयार किया जाएगा। फिर इन पौधों पर पढ़ाई की जाएगी। इसे इंटिग्रेटेड मेडिसिन के तहत कोर्स में शामिल किया जाएगा। यह भी पढ़े –
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एम्स के चिकित्सक औषधियों के असर व पौधों के रासायनिक तत्व की खोज करके नई, सस्ती और असरदार दवाएं बनाएंगे। पारंपरिक दवाओं को सामने लाने का यह देश में पहला प्रयास होगा।
ट्यूमन हेल्थ हर्बल गार्डन वे पौधे जिनका अब तक इंसानों की बीमारियों के इलाज में काम होता रहा है। रसायन वन: पौधों के रासायनिक गुणों का एम्स के स्टूडेंट्स अध्ययन करेंगे और फार्माकोलॉजी डिपार्टमेंट इनका फिर से रासायनिक गुण सूत्र संकलित करेगा।
साइन हुआ एमओयू
एम्स भोपाल के निदेशक डॉ. अजय सिंह ने बताया कि बाबा रामदेव की पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन और एम्स के बीच एक एमओयू हुआ है। दोनों संस्थान मिलकर अब तक का सबसे बड़ा हर्बल गार्डन विकसित करेंगे। जहां औषधीय पौधों के रसायनिक तत्वों पर रिसर्च के साथ इनके संरक्षण और संवर्द्धन के लिए कार्य होगा।