हर व्यक्ति सालाना पैदा करता है 36 किग्रा प्लास्टिक कचरा
भोपाल में प्रति व्यक्ति सालाना औसतन 36 किलोग्राम प्लास्टिक पैकेजिंग का कचरा पैदा करता है। इसका महज 30 फीसद ही रीसाइक्लिंग या पुनचक्रण हो पाता है। बाकी कचरे के रूप में लैंड फिल में जमा होता है। लैंडफिल, भस्मीकरण संयंत्रों के जरिए यह हवा, पानी और मिट्टी में मिलता है। माइक्रोप्लास्टिक्स में बिस्फेनॉल ए (बीपीए) और फ़ेथलेट्स जैसे हानिकारक रसायन होते हैं, जो कैंसर के कारण बन सकते हैं।
सेहत के लिए गंभीर खतरा
माइक्रो प्लास्टिक के कण त्वचा रोग, अनियंत्रित वजन, इंसुलिन प्रतिरोध, प्रजनन स्वास्थ्य में कमी और कैंसर जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा करते हैं। माइक्रो प्लास्टिक ह्यूमन बॉडी के कई अहम हिस्सों में जमा होने से दिमाग पर असर डालता है। ये रेड ब्लड सेल्स के बहरी हिस्से से चिपक जाते हैं और ऑक्सीजन फ्लो को पूरी तरह तोड़ सकते हैं, जिससे शरीर के टिश्यू में ऑक्सीजन में कमी आ सकती है। ये भी पढ़ें:
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आदमपुर खंती के कचरे में लगी आग तीसरे दिन भी धधक रही है। इसका धुआं पांच किलोमीटर दूर से दिखाई दे रहा है। आग से आसपास के 20 किलोमीटर के दायरे का पर्यावरण प्रभावित हुआ है। करीब नौ गांवों के लोग धुंए से परेशान है। अभी खंती में लगभग 10 लाख टन कचरा जमा है। यही सुलग रहा है।
धुएं और दुर्गंध का असर पड़रिया, बिलखिरिया, शांति नगर, समरधा, अर्जुन नगर, हरिपुरा, छावनी, कोलुआ और आदमपुर छावनी गांवों में है। करीब 20 हजार की आबादी इससे बहुत परेशान है।
आग लगी नहीं, लगायी गयी
स्थानीय निवासियों को आरोप है कि निगम और कचरा प्रोसेसिंग कंपनी ने ये आग लगाई है, ताकि कचरा प्रोसेसिंग की प्रक्रिया से बचा जा सके। बहरहाल, अभी निगम 1.80 करोड़ रुपए के जुर्माने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा लड़ रहा है।