राज्य केबिनेट ने पचमढ़ी शहर को अभयारण्य से बाहर करने का फैसला किया है। इसके अंतर्गत 395.93 हेक्टेयर जमीन वन विभाग से लेकर इसे नजूल भूमि घोषित किया जाएगा जिससे इसे खरीदा या बेचा जा सकेगा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राज्य सरकार ने यह कदम उठाया है।
केबिनेट के फैसले के बाद पचमढ़ी में विकास कार्यों में तेजी आने की उम्मीद है। अभी अभयारण्य होने की वजह से यहां किसी भी तरह की व्यवसायिक गतिविधियां चलाने की अनुमति नहीं थी। सरकार भी कोई विकास कार्य नहीं कर पा रही थी। अब पचमढ़ी का अभयारण्य का फिर नोटिफिकेशन होगा।
दरअसल राज्य सरकार ने जब 1 जून 1977 को पचमढ़ी अभयारण्य को अधिसूचित किया था तब इसमें शामिल क्षेत्र और बाहर किए जाने वाले इलाके को सीमांकित नहीं किया गया था। इस वजह से कई गफलतें उत्पन्न हो रहीं थीं, यहां कोई व्यवसायिक गतिविधि नहीं हो पा रही थी।
अब पर्यटकों की सुविधा के लिए प्रोजेक्ट लाए जाएंगे
वन विभाग का कहना था कि पचमढ़ी शहर वन भूमि में है, जिससे यहां विकास कार्य प्रतिबंधित था। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला सरकार के पक्ष में आया जिसके बाद राज्य सरकार ने 395.93 हेक्टेयर जमीन को नजूल भूमि घोषित करने का फैसला लिया है। नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने बताया कि इस जमीन पर अब पर्यटकों की सुविधा के लिए प्रोजेक्ट लाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि पचमढ़ी के विकास की बहुत संभावनाएं हैं।
नक्सल प्रभावित जिलों में 850 कार्यकर्ता तैनात करने को भी मंजूरी
केबिनेट में मंदसौर में हुए कृषि समागम की भी चर्चा हुई। ऐसे कार्यक्रम अगले माह नरसिंहपुर और सतना में होंगे। राज्य केबिनेट ने नक्सल प्रभावित जिलों बालाघाट, मंडला, डिंडोरी में 850 कार्यकर्ता तैनात करने को भी मंजूरी दी। ये कार्यकर्ता नक्सली मूवमेंट की जानकारी देंगे। केबिनेट ने दिव्यांग ओलिंपिक में एमपी के दो युवाओं को एक-एक करोड़ रुपए देने पर भी सहमति जताई। जिला पेंशनर्स कार्यालय में पदस्थ कर्मचारियों को दूसरे विभागों में भेजने का निर्णय लिया।