मंत्री विजय शाह ने 11 मई को इंदौर के महू में आयोजित हलमा कार्यक्रम में ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी देनेवाली कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर विवादित टिप्पणी की थी। इसका देशभर में विरोध हुआ और हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर उनपर एफआइआर दर्ज कराई। बाद में मामला सुप्रीम कोर्ट चला गया था।
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खिवनी अभयारण्य जाएंगे विजय शाह
डॉ. मोहन यादव ने मंत्री विजय शाह को खिवनी अभयारण्य भेजने के संबंध में ट्वीट किया। उन्होंने अपने एक्स हेंडल पर लिखा- खिवनी अभयारण्य, सीहोर-देवास में वन विभाग द्वारा जनजातीय अंचल में की गई कार्रवाई का मामला संज्ञान में आया है। प्रशासन को ऐसी व्यवस्था बनाने के निर्देश दे दिए हैं, जिससे कल्याणकारी योजनाएं पूर्ण हों और संवेदनशीलता भी बनी रहे। माननीय मंत्री श्री विजय शाहजी को मौके पर जाने के लिए निर्देशित किया है।
क्यों असंतुष्ट हैं आदिवासी
खिवनी अभयारण्य में 23 जून को वन विभाग ने सख्ती से अतिक्रमण मुहिम चलाई। इससे वनवासी गुस्सा उठे। शुक्रवार को खातेगांव के डाक बंगला मैदान पर विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया जिसमें आसपास के जिलों के हजारों आदिवासी आ जुटे। खिवनी अभयारण्य देवास और सीहोर जिलों में फैला है। इन दोनों जिलों के साथ ही बैतल, हरदा, खंडवा और खरगोन जिलों के वनवासियों ने भी यहां आकर सरकारी कार्रवाई का विरोध जताया। पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया सहित कई कांग्रेसी और जयस नेताओं ने सभा को संबोधित कर वन विभाग की सख्त कार्रवाई की कठोर शब्दों में आलोचना की। विरोध प्रदर्शन में आदिवासियों के बड़ी संख्या में एकत्रित होकर कार्रवाई की खिलाफत करने से सरकार दबाव में आ गई है। यही कारण है कि हाशिए पर पड़े आदिवासी वर्ग के मंत्री विजय शाह को ही आदिवासियों को मनाने का जिम्मा दिया गया है।