मध्यप्रदेश के सीएम डॉ. मोहन यादव ने वन अधिकार अधिनियम व पेसा अधिनियम का पालन कराने से जुड़े विषयों को लेकर अधिकारियों की बैठकें लीं। शनिवार को अपने निवास पर बुलाई इन समीक्षा बैठकों में सीएम ने वन ग्रामों को राजस्व ग्रामों में परिवर्तित करने के काम में तेजी लाने पर जोर दिया।
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मध्यप्रदेश में सघन वन क्षेत्र वाले 29 जिलों में कुल 925 वनग्राम हैं जिनमें से 827 को राजस्व ग्रामों में परिवर्तित किया जा रहा है। इसके लिए बीस साल से कवायद चल रही थी। सन 2002 से 2004 के बीच राज्य सरकार ने सभी जिलों के वन ग्रामों के केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजे थे।
22 अप्रैल 2022 को भोपाल में केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने राज्य के वन समितियों के सम्मेलन में इन 827 वन ग्रामों को राजस्व ग्राम में परिवर्तित करने की घोषणा की थी। कार्यक्रम में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान भी मौजूद थे। वन ग्रामों को राजस्व ग्रामों में परिवर्तित करने से आदिवासियों को कानूनी अधिकार लेने में आसानी हो गई है।
यह भी पढ़ें: एमपी बीजेपी में जबर्दस्त खींचतान, शर्मा-सिंधिया सबके पावर खत्म, हाईकमान का बड़ा फैसला सीएम मोहन यादव को बैठक में बताया गया कि प्रदेश में जिन 827 वन ग्रामों को राजस्व ग्रामों में परिवर्तित करने का निर्णय लिया गया है, उनमें से 792 को राजस्व ग्रामों में परिवर्तित किया जा चुका है। अब तक 790 गांवों का गजट नोटिफिकेशन भी करा दिया गया है।
आदिवासियों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने, वन ग्रामों में राजस्व व अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए यह फैसला लिया गया है। इसके तहत वन ग्रामों में अब सड़क, बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी। वनग्रामों के राजस्व ग्रामों में बदलने के बाद यहां के निवासी भी सामान्य ग्रामीणों की तरह जमीन और कृषि संबंधी अपने अधिकारों को प्राप्त कर सकेंगे, आदिवासियों के सिर पर लटकी रहनेवाली जंगल के कानून की तलवार हट जाएगी।