बता दें कि मिशन कर्मयोगी का उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों की कुशलता और योग्यता में वृद्धि करना है। इसमें कर्मचारियों को अपग्रेड करने के लिए आवश्यक प्रशिक्षण दिया जाएगा। मध्यप्रदेश क्षमता निर्माण नीति 2023 के अनुसार पदोन्नति के लिए यह अनिवार्य होगा।
मिशन कर्मयोगी डिजिटल पोर्टल पर अब तक 43 हजार से अधिक अधिकारियों और कर्मचारियों को पंजीकृत किया जा चुका है। ये कुल कर्मचारियों का करीब 70 प्रतिशत है। नगरीय प्रशासन एवं विकास संचालनालय के 8816 प्रतिभागी पाठ्यक्रमों में पंजीकृत हैं। इनमें से 6843 अधिकारी-कर्मचारियों द्वारा पाठ्यक्रमों में प्रशिक्षण प्राप्त किया जा चुका है।
विभागीय अधिकारियों ने बताया कि विशेषज्ञों के माध्यम से 4 ई-लर्निंग मॉड्यूल बनाए गए हैं। इनमें आश्रय-स्थल प्रबंधन, स्व-सहायता समूह गठन एवं प्रबंधन, राजस्व प्रबंधन, प्रधानमंत्री आवास योजना 2.0 शामिल हैं।
यह भी पढ़ें : एमपी के प्रमुख विभाग में बड़ा फेरबदल, ढाई दर्जन से ज्यादा वरिष्ठ अफसरों को हटाया यह भी पढ़ें : कांग्रेसियों में जोश जगा गए राहुल गांधी, 7 प्वाइंट में समझें-क्या रही उपलब्धि और कहां हुई चूक मिशन कर्मयोगी से राज्य सरकार के अधिकारियों और कर्मचारियों की कौशल और नेतृत्व क्षमता लगातार बढ़ेगी। राज्य सरकार की यह पहल केन्द्र सरकार की नीति से मेल खाती है।
प्रावधानों के अनुसार प्रत्येक विभाग में वेतन बजट का एक प्रतिशत अनिवार्य रूप से कर्मचारियों के प्रशिक्षण पर खर्च किया जाएगा। ज्यादा की आवश्यकता हुई तो वित्त विभाग की अनुमति से इसे 2.5 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है। इससे प्रत्येक कर्मचारी को अपग्रेड करनके लिए आवश्यक प्रशिक्षण मिलेगा।