कुछ इसी प्रकार की स्थिति उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड में भी थी। वहां की सरकारों ने कोर्ट का आदेश मानते हुए कर्मचारियों का डिमोशन कर दिया था। इसे लेकर मध्यप्रदेश में भी दबाव रहा, लेकिन यहां यथास्थिति बनाए रखी है। अब यह सैद्धांतिक तौर पर तय हो गया है कि किसी भी कर्मचारी का डिमोशन नहीं किया जाएगा।
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घर में सोलर पैनल लगाने पर प्रॉपर्टी टैक्स में छूट, सब्सिडी का भी फायदा सरकार का प्रयास है कि कर्मचारियों की वरिष्ठता का ध्यान रखा जाए, यानी वरिष्ठता को प्राथमिकता दी जाएगी। इससे एक क्रम से कर्मचारी प्रमोट होते जाएं। पूर्व में आरक्षित वर्ग के जूनियर कर्मचारी प्रमोशन में सीनियर हो गए, और सामान्य वर्ग के कर्मचारी यथा स्थान पर हैं, ऐसे में सामान्य वर्ग के कर्मचारियों में अभी भी नाराजगी है। यदि यथास्थिति में प्रमोशन होते हैं तो उन्हें नुकसान होगा। ऐसे में सरकार कोई रास्ता निकाले, जिससे उन्हें पुरानी वाली ही सीनियरिटी मिले। ऐसा नहीं होता तो सामान्य वर्ग के कर्मचारियों को आर्थिक नुकसान होगा।
गोरकेला ड्राफ्ट को क्यों दबाए बैठी है सरकार: कांग्रेस
मध्यप्रदेश कांग्रेस अनुसूचित जाति विभाग के अध्यक्ष प्रदीप अहिरवार ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राज्य सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि सरकार गोरकेला ड्राफ्ट को दबाए बैठी है। शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्रित्वकाल में वरिष्ठ विधिवेत्ताओं के परामर्श से गोरकेला ड्राफ्ट (पदोन्नति अधिनियम 2017) बनाया गया, ताकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों के अधीन लंबे समय से अवरुद्ध पदोन्नतियां राज्य के सभी वर्ग के अधिकारी कर्मचारियों को दी जा सके। ऐसे महत्वपूर्ण निर्णय को सरकार द्वारा 8 वर्ष से क्यों दबाकर रखा गया है।उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा घोषित ‘नया फॉर्मूला’ पूरी तरह से आधा-अधूरा, असंवैधानिक और अस्थायी प्रतीत होता है। ये भी पढें
– कोर्ट में जज का छलका दर्द, लिख दी कविता, 6 साल की बच्ची से रेप-हत्या का है मामला रिटायर कर्मचारियों को भी मिले आर्थिक लाभ
रिटायर हो चुके कर्मचारियों को भी प्रमोशन के लाभ दिए जाने की मांग तेज हुई है। मध्यप्रदेश कर्मचारी मंच में मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि बिना शासन आदेश के पदोन्नति से वंचित अधिकारी, कर्मचारियों को भी पेंशन में आर्थिक लाभ दिया जाए। कर्मचारी मंच के प्रांताध्यक्ष अशोक पांडे ने बताया कि प्रदेश में डेढ़ लाख द्वितीय-तृतीय व चतुर्थ श्रेणी अधिकारी-कर्मचारी बिना पदोन्नति के सेवानिवृत हो गए हैं, जबकि पदोन्नति रोकने का कोई आदेश सरकार ने जारी नहीं किया था। इसमें इन कर्मचारियों का क्या कसूर है। इन 7-8 साल मेंडेढ़ लाख अधिकारी कर्मचारियों को नुकसान उठाना पड़ा।