एमपी हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने पहुंचे मंत्री विजय शाह
Minister Vijay Shah reach Supreme Court : मोहन सरकार में कैबिनेट मंत्री विजय शाह द्वारा हाईकोर्ट के आदेश पर कराई गई एफआईआर रद्द कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं।
Minister Vijay Shah reach Supreme Court :मध्य प्रदेश के जनजातीय कार्य मंत्री विजय शाह द्वारा कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर दिए विवादित बयान पर उनके खिलाफ महू के मानपुर थाने में बुधवार देर रात एफआईआर दर्ज हुई थी। मंत्री द्वारा एफआईआर रद्द कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई गई है। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में शाह ने अपने बयान पर माफी मांगने का भी जिक्र किया है।
इस मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए जबलपुर हाईकोर्ट ने विजय शाह के बयान ‘कैंसर’ जैसा बताते हुए उनके खिलाफ मध्य प्रदेश के डीजीपी से 4 घंटों के भीतर एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए थे। इस मामले में आज मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में सुनवाई होना है। आज हाईकोर्ट के पटल पर उस वीडियो का लिंक भी रखे जाएंगे, जिसमें मंत्री ने कर्नल सोफिया को लेकर टिप्पणी की थी।
Madhya Pradesh Cabinet Minister Kunwar Vijay Shah moves Supreme Court against Madhya Pradesh High Court’s May 14 order which ordered registration of FIR against him for his remarks against Indian Army officer Colonel Sofiya Qureshi who had briefed the media about Operation… pic.twitter.com/09qpVj0aZM
इधर, कांग्रेस मंत्री विजय शाह को पद से हटाने की मांग कर रही है। प्रदेश के इंदौर, भोपाल और जबलपुर समेत कई शहरों में मंत्री विजय शाह के खिलाफ प्रदर्शन भी किया गया। साथ ही, देशभर के विपक्षी राजनीतिक दलों द्वारा उनके बयान की गहन आलोनचा की गई है। यही नहीं, मंत्री के बयान पर देशभर में आमजन के बीच भी नाराजगी देखी जा रही है।
इन धाराओं के तहत दर्ज हुआ केस
-BNS (भारतीय न्याय संहिता) की धारा 152 : अलगाव, सशस्त्र विद्रोह और विध्वंसक गतिविधियों को भड़काने वाले कृत्यों को अपराध मानती है। यह देश की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कार्यों को भी अपराध मानती है। इसमें उम्रकैद या सात साल तक के कारावास के दंड का प्रविधान है।
-BNS 196(1)(ख) : धर्म, जाति, जन्मस्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने और सद्भाव बनाए रखने के लिए हानिकारक कार्य करने से संबंधित है। इसमें पांच वर्ष के कारावास का प्रविधान है।
-BNS 197(1)(ग) : राष्ट्रीय एकता को नुकसान पहुंचाने वाले कार्यों से संबंधित है। इसमें किसी भी समूह की भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा को संदेह में लाने वाले आरोप, दावे या कथन शामिल हैं। इसमें तीन वर्ष के कारावास का प्रविधान है।
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