कोर्ट व्यवस्था खत्म करने की बात कह चुका है। श्रम कानूनों में केंद्र की तरह रियायत दी जा सकती हैं। किसानों को फूड इंडस्ट्री में अतिरिक्त सहूलियतें मिल सकती हैं। सरकार पचमढ़ी और आबादी से लगी वन भूमि का बड़ा हिस्सा पहले ही अभयारण्य से बाहर कर चुकी है।
ऐसे में यहां से जुड़े प्रस्ताव को मंजूरी दी जा सकती है, पहले इसकी मनाही थी। सीएम सुबह 10:30 बजे पचमढ़ी पहुंचेंगे। वे पर्यावरण विकास निगम के 33 करोड़ के कार्यों का लोकार्पण एवं भूमिपूजन करेंगे। इनमें पॉलिथिन मुक्त पचमढ़ी के तहत कांच की बोतल में आरओ पानी के प्लांट की स्थापना शामिल है। सीएम 12.49 करोड़ के कार्यों का लोकार्पण, 21.39 करोड़ के कार्यों का भूमिपूजन करेंगे। पचमढ़ी के बाल उद्यान का नाम भभूत सिंह के नाम पर होगा।
मप्र बनने से पहले सीपी बरार की ग्रीष्मकालीन राजधानी रही पचमढ़ी में ऐतिहासिक राजभवन है। तत्कालीन सरकार में कैबिनेट बैठक तो हुईं, पर मध्यप्रदेश निर्माण के बाद राजभवन परिसर में पहली कैबिनेट होगी।
दो मुख्यालयों को एक करेगी सरकार
राजस्व विभाग के भू-अभिलेख और आयुक्त राजस्व कार्यालयों को मर्ज किया जा सकता है। ये दो विभागाध्यक्ष कार्यालय समांतर चल रहे हैं, जिनके काम एक जैसे हैं। प्रमुख राजस्व आयुक्त कार्यालय भोपाल में है, जिसके मुखिया कमिश्नर हैं। इसके अधीन तहसीलदार आते हैं। भू-अभिलेख का कार्यालय ग्वालियर में है, जिसके विभागाध्यक्ष कमिश्नर होते हैं। इसके तहत पटवारी आते हैं।
पहले हो चुकी तीन कैबिनेट
मोहन सरकार तीन डेस्टिनेशन कैबिनेट कर चुकी। पहली रानी दुर्गावती की स्मृति में दमोह के सिंग्रामपुर में, दूसरी लोकमाता देवी अहिल्या बाई होलकर की याद में महेश्वर और तीसरी भी लोकमाता की याद में इंदौर के राजबाड़ा में हुई।