तीन लाख अवसादग्रस्त
एक रिपोर्ट के अनुसार, अकेले भोपाल में ही गंभीर मानसिक रोगों (जैसे सिजोफ्रेनिया और बाइपोलर डिसऑर्डर) से पीड़ितों की संख्या लगभग 40,000 है, जबकि 2,50,000 लोग सामान्य मानसिक विकारों से पीड़ित हैं। इस तरह की परेशानी
मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के मूल में चिंता, अवसाद, और सिज़ोफ्रेनिया प्रमुख है।
100 विशेषज्ञ मिलें
मध्य प्रदेश में प्रति एक लाख की जनसंख्या पर सिर्फ 0.05 मनोरोग विशेषज्ञ हैं। भोपाल की लगभग 20 लाख आबादी के हिसाब से कम से कम 100 विशेषज्ञों की जरूरत है, लेकिन मनोरोग विशेषज्ञों की संख्या 10 से 15 के आसपास (huge shortage of psychiatrists) है।
काउंसलिंग सेवाएं सीमित
भोपाल में जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत सीमित क्लिनिक हैं। ये जिले का केवल 13.7 प्रतिशत हिस्सा ही कवर कर पाते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, 70 से 90 प्रतिशत मानसिक रोगी इलाज नहीं करा पाते।
युवा और वृद्ध सर्वाधिक प्रभावित
रिपोर्ट के अनुसार तनाव और कार्य जनित मानसिक थकान स े15 से 40 वर्ष की उम्र के युवा शिकार हैं। प्रदेश में प्रत्येक छठा बच्चा मानसिक रोग का शिकार है। सामाजिक अलगाव के कारण बुजुर्ग अकेलापन महसूस करते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त ढांचा नहीं
मध्य प्रदेश में मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचा नहीं है। मनोरोग विशेषज्ञों की भारी कमी है। मानसिक रोग को लोग छुपाते हैं। उपचार नहीं कराते हैं। नतीजतन मानसिक तनाव में आत्महत्या के मामले बढ़ रहे हैं।