रिपोर्ट में कैग ने बताया है कि, योजना के साल 2021-22 की गतिविधियों के ऑडिट में पता चलता है कि प्रदेश के 49 जिलों में 75 PIUs में से 71 में ठेकदारों ने बिटुमिन खरीद के लिए फर्जी चालान जमा किए है। इनका मूल्य करीब 414 करोड़ रूपए था। इसके अलावा, ठेकेदारों ने एक ही चालान को दो या तीन बार पेश किया और फिर प्राइवेट रिफाइनरियों से बिटुमिन खरीदकर सरकार के साथ धोखाधड़ी की। कैग की रिपोर्ट के अनुसार, 9903 चालानों की जांच से यह पता चला कि उनमें से 3,389 चालान फर्जी थे।
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कैग ने अपनी रिपोर्ट में यह भी खुलासा किया ठेकेदारों द्वारा गलत और फर्जी चालान पेश करने से गैर-मौजूद बिटुमिन खरीद के लिए 32.47 करोड़ रुपये का भुगतान हुआ था। इसे लेकर संबंधित विभाग ने गलत कागजात पेश करने वाले दोषी ठेकेदारों के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं की और ना ही उनके टेंडरों को रद्द किया है। इस मामले में एमपी ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण (MPRRDA) ने अपने काम करने के तरीकों का बचाव किया है। उनका कहना है कि यह इंडिपेंडेंट मॉनिटर और एनएबीएल लैब गुणवत्ता और मात्रा की पुष्टि करती है। हालांकि, कैग ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि चालान के वैरिफिकेशन में सही सावधानी बरतने से धोखाधड़ी को रोका जा सकता था।