237 डीम्ड अनुमतियों की जानें हकीकत
विशेषज्ञों के अनुसार ऐसे प्रोजेक्ट जो सिया में पर्यावरणीय अनुमति के लिए किए जाते हैं,लेकिन उन पर 45 दिन के भीतर कार्रवाई कर अनुमति जारी नहीं की जाती। उन्हें सैक पूरी तरह निरस्त नहीं करते हुए कुछ शर्तें लगाकर सिया की ओर प्रेषित करती हैं। ऐसे प्रकरणों में नियमों के तहत डीम्ड अनुमतियां जारी होती हैं जो कि सदस्य सचिव आर. उमा महेश्वरी के अवकाश पर होने के दौरान तत्कालीन प्रभारी सदस्य सचिव श्रीमन शुक्ला ने पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव नवनीत मोहन कोठारी के संज्ञान से आगे बढ़ाया था। यदि सैक शतों के साथ अनुशंसा की बजाए आपत्ति लगाती, तब किसी भी स्तर से डीम्ड अनुमति नहीं होती और प्रोजेक्ट पुन: प्रकरण में चले जाते।
अफसरों के बीच रस्साकसी
सदस्य सचिव उमा महेश्वरी ने आरोप लगाए कि लैपटॉप व कक्ष की मांग करते हैं। एजेंडा घर पहुंचाने का दबाव डालते हैं। बैठक में कुछ कहते हैं और बाद में निर्णय पलट देते हैं। एक जैसे प्रकरणों में भी भिन्न-भिन्न निर्णय देते हैं। सेवानिवृत्त आइएएस हैं। वे सीधे भ्रष्टाचार की मंशा से काम करते हैं।- नवनीत एम. कोठारी, प्रमुख सचिव (पर्यावरण) आर. उमा महेश्वरी, सदस्य सचिव (सिया) ने कहा कि चेयरमैन शिवनारायण सिंह चौहान (chairman shivnarayan singh chauhan) ने पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव नवनीत मोहन कोठारी और तत्कालीन प्रभारी सदस्य सचिव श्रीमन शुक्ला पर नियमों के विरुद्ध प्रोजेक्टों को पर्यावरणीय अनुमति देने के आरोप लगाए।
चेयरमैन पर आरोप
चेयरमैन शिवनारायण सिंह चौहान ने गैर कानूनी काम करने, दस्तावेजों में हेराफेरी करने, बैठकें नहीं कराने के आरोप लगाए। उन्होंने इन आरोपों पर राज्य व केंद्र के अफसरों को भी पत्र लिखकर जानकारी दी। वहीं दफ्तर में तालाबंदी कर उन्हें बेदखल करने, परेशान करने की शिकायत भी कर चुके हैं।
6 महीने में 21 बैठकें, 294 प्रोजेक्टों को मंजूरी
सिया की 6 महीने में 21 बैठकें हो चुकी हैं, इनमें 57 प्रोजेक्टों को पर्यावरणीय अनुमति मिली है। इसके अलावा 45 दिन की अवधि में आने वाले 237 प्रकरणों को विशेष शर्तों के तहत अनुमति हुई। इस तरह 6 महीने में 294 प्रकरणों को अनुमति हुई है। विवाद खत्म करने के ये विकल्प
- वरिष्ठ स्तर के अधिकारियों की टीम पूरे मामले की जांच करे, उसमें जनप्रतिनिधि को भी शामिल किया जा सकता है।
- जांच में यदि सिया चेयरमैन व सदस्य की गलती है तो उन्हें हटाने के संबंध में केंद्र को कार्रवाई के लिए पत्र लिखें।
- प्रमुख सचिव कोठारी, तत्कालीन प्रभारी सदस्य सचिव शुक्ला व सदस्य सचिव महेश्वरी ने गड़बड़ी की तो कार्रवाई हो सकती है।
- यदि जांच के बिना मामले को खत्म करना है तो सदस्य सचिव महेश्वरी को हटाकर दूसरे की नियुक्ति की जा सकती है।