नतीजा डॉक्टरों पर मरीजों का दोगुना दबाव होता है। इधर अस्पताल के निर्माणाधीन नए भवन में पहली बार आधुनिक कार्डियोलॉजी विभाग शुरू करने की योजना बनी। इसमें गंभीर हृदय रोग का पता लगाने के लिए कैथ लैब स्थापित किया जाना था, लेकिन योजना रद्द हो गई।
हर माह 32 हजार से अधिक मरीज आते हैं। सिर्फ मेडिसिन और एक अन्य विभाग में कुछ डॉक्टरों की कमी है। कैथ लैब व हार्ट विभाग का शुरू करना स्वास्थ्य विभाग के निर्णय पर निर्भर है।- डॉ. राकेश श्रीवास्तव, सिविल सर्जन,
प्रसूति वार्ड स्थानांतरित
अस्पताल में चल रहा प्रसूति वार्ड भी पिछले दिनों बंद कर दिया है। इस वार्ड को कैलाश नाथ काट्जू महिला अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया। अब जेपी अस्पताल में गर्भवती महिलाओं का सिर्फ उपचार होता है और प्रसव के लिए काट्जू में भेज दिया जाता है।
डॉक्टरों पर मरीजों का अत्यधिक बोझ
जेपी अस्पताल के विभिन्न विभाग के ओपीडी में हर दिन लगभग 12 सौ और इमर्जेंसी में 40 से 50 मरीज आते हैं। विभिन्न वार्ड में कुल 400 और इमर्जेसी में चार बेड हैं। वहीं अस्पताल में डॉक्टरों की संख्या 70 है। अस्पताल में भर्ती और ओपीडी के मरीजों की संया अधिक होने से डॉक्टर मरीजों को अधिक समय नहीं दे पाते हैं।