12 साल से स्कूल का इंतजार, पेड़ के नीचे पढ़ रहे नौनिहाल, लापरवाही बनी बच्चों के भविष्य का संकट
Tribal Childrens Waiting Schools : 2013 में स्कूल भवन टूटने के बाद यहां बिगड़े हालात। फिर भी किसी जिम्मेदार का इसपर ध्यान नहीं। 12 साल से कहीं खुले में तो कहीं पेड़ के नीचे लग रहीं कक्षाएं।
12 साल से स्कूल का इंतजार (Photo Source- Patrika Input)
संजीव जाट की रिपोर्टTribal Childrens Waiting Schools : भले ही सरकार शिक्षा और स्वास्थ व्यवस्था सुधारने के कितने ही दावे कर ले, लेकिन धरातल पर इसकी हकीकत कुछ और ही बानगी बयां करती है। इसकी ताजा हकीकत देखने को मिली मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले के अंतर्गत आने वाले बदरवास के कुछ शासकीय स्कूलों में, जहां स्कूल भवन न होने या जर्जर होने की स्थिति में स्कूली छात्र या तो पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं या किसी टीनशेड़ के नीचे।
खासतौर पर खराब हालात खैराई, गीतखेड़ा और सिद्धपुरा के है, जहां ज्यादातर बच्चें आदिवासी समुदाय से हैं। हालात ये हैं कि, यहां अगर थोड़ी ही बारिश हो जाए तो स्कूलों को बंद ही करना पड़ता है।
बारिश के दिनों में करनी पड़ती है स्कूल की छुट्टी
जानकारी के मुताबिक बदरवास जन शिक्षा केंद्र के अंतर्गत ग्राम खैराई में साल 2013 में स्कूल भवन की छत गिर गई थी। तब से लेकर अब तक 12 साल से बच्चें इस स्कूल में खुले आसमान और पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं। इस प्राथमिक स्कूल में 43 बच्चे पढ़ रहे हैं। स्कूल प्रभारी कई साल से लगातार विभाग को पत्र लिखकर अवगत करा रहे हैं, बावजूद इसके उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई। मौजूदा समय में आदिवासी बस्ती खैराई में पीपल के पेड़ के नीचे स्कूल की कक्षाएं संचालित हो रही हैं।
क्या कहते हैं जिम्मेदार?
मामले को लेकर बदरवास बीआरसी अंगद सिंह तोमर का कहना है कि, ‘मामला हमारे संज्ञान में है। हम लगातार विभाग को पत्र के माध्यम से सूचना दे रहे हैं। हम प्रयास कर रहे हैं कि, जल्द इन स्थानों पर नए स्कूल भवन बने। पर हमारे हाथ में इससे ज्यादा कुछ नही है। जैसे ही बजट आएगा, सभी जगह स्कूल भवनों का निर्माण कराया जाएगा।
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