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World Heritage Day 2025: एमपी की राजधानी भोपाल की नवाबी धरोहरें, इतिहास का शानदार सफर

World Heritage Day 2025: 18 अप्रैल को वर्ल्ड हेरिटेज डे, तो आओ करते हैं नवाबों के शहर भोपाल की सैर, जो झीलों की नगरी तो है ही, लेकिन इसकी इमारतें सिर्फ, चूना पत्थर या गारे की दीवारें नहीं,बल्कि, एक समय की कहानियां सुनातीं धरोहरें हैं, जहां एक पल भी बिताया तो सुनहरा ऐतिहासिक दिन बन जाएगा, तो आएं World Heritage Day के साथ जिंदगी के कुठ पलों को अनमोल बन बनाएं…

भोपालApr 14, 2025 / 02:04 pm

Sanjana Kumar

World Heritage Day 2025 Heritage Bhopal

World Heritage Day 2025 Heritage Bhopal

World Heritage Day 2025: हर साल 18 अप्रैल को विश्व धरोहर दिवस (World Heritage Day) मनाया जाता है। वो दिन, जब हम अपनी सांस्कृतिक विरासत को संजोने और उसे संरक्षित करने का संकल्प लेते हैं। अगर बात धरोहरों की हो, तो भोपाल (Heritage Bhopal) का नाम भी प्रमुख शहरों की लिस्ट में आता है, जो दुनिया भर में अपनी विशेष ऐतिहासिक धरोहरों के लिए जाना जाता है।
मध्य प्रदेश की राजधानी, जिसे ‘झीलों का शहर’ है, प्राकृतिक सुंदरता के लिए तो ये मशहूर है ही, साथ ही इनकी हर ऐतिहासिक इमारत अपने में एक नई गाथा समेटे है, जो हर दिल को छू जाती है। आइए, इस विश्व धरोहर दिवस के अनमोल दिन पर भोपाल की उन शानदार इमारतों की सैर करें, जो हमें एक समय की सैर कराती हैं और इतिहास के पन्नों को आज में जीवंत कर देती हैं।

ताज-उल-मसाजिद यानी मस्जिदों का ताज

आइए हम भोपाल की सैर शुरू करते हैं, ताज-उल-मसाजिद से, जिसका नाम ही है मस्जिदों का ताज। यह भारत की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक है और इसकी भव्यता देखकर आंखें ठहर सी जाती हैं। गुलाबी मीनारें, विशाल गुंबद और संगमरमर का आंगन शानदार कारीगरी का एक जादू दिखाते हैं। नवाब शाहजहां बेगम ने इसका निर्माण शुरू करवाया था और यह इमारत न केवल धार्मिक महत्व की है बल्कि, वास्तुकला का एक अनमोल मिसाल भी है। इसे देखकर लगता है जैसे इतिहास आज भी सांसें ले रहा हो। विश्व धरोहर दिवस पर इसे देखने का प्लान बनाएं और इसकी दीवारों में बसी कहानियों को जरूर सुनें।

गौहर महल

नवाबों की शान बड़ा तालाब झील के किनारे बसा गौहर महल, भोपाल की सबसे खूबसूरत धरोहरों में से एक है। इसे नवाब कुदसिया बेगम ने बनवाया था। यह इमारत हिंदू-इस्लामी वास्तुकला का बेजोड़ नमूना है। इसकी नक्काशीदार मेहराबें, रंग-बिरंगे झरोखे और शांत माहौल आपको पुराने जमाने में ले जाते हैं। आज यह महल कला और हस्तशिल्प का केंद्र बन चुका है, जहां भोपाल की संस्कृति जीवंत हो उठती है। गौहर महल की सैर करें, और नवाबी ठाठ-बाट का अहसास लें। विश्व धरोहर दिवस पर इससे बेहतर जगह भला क्या हो सकती है?
करीबन 4.5 एकड़ में बने इस महल के लिए उस समय गौहर बेगम ने बेल्जियम से कांच मंगवाकर इसके दरवाजे और खिड़कियों में नक्काशी करवाई थी। बेगम कुदसिया ने अपने शासनकाल में इसे अपने निवास के लिए बनवाया था।

इसकी सबसे बड़ी खासियत है खास कमरा जो, अंधेरे में भी चमकता था

लगभग 4.65 एकड़ क्षेत्र में फैले गौहर महल से जुड़ी एक खास बात यह है कि यहां बना कुदसिया बेगम का कमरा इतना खास था कि उसकी नक्काशी के साथ ही इसकी दीवारों पर एक चमकीला पदार्थ (अभ्रक) भी लगाया गया था। यही कारण था कि जैसे ही अंधेरा होता और चिराग, मोमबत्तियों की रोशनी की जाती तो ये झिलमिलाता था कि अंधेरे में भी चमकता रहता था। इस महल में सोने और चांदी के साथ संगमरमर पत्थर का प्रयोग भी किया गया है।
अन्य किलों और महलों की तरह ही गौहर महल में भी एक खुफिया सुरंग का निर्माण कराया गया था। यह सुरंग 45 किलोमीटर दूर जाकर रायसेन के किले में खुलती थी। बता दें कि उस समय दुश्मनों से बचने के लिए महल और किलो में ऐसी खुफिया सुरंगें बनाई जाती थीं इनका उपयोग राजा, रानी और उनके परिवार को सुरक्षित रखने के लिए किया जाता था।

शौकत महल और सदर मंजिल की फ्रांसीसी छटा

अब चलते हैं शौकत महल और सदर मंजिल की ओर, जो भोपाल की शाही विरासत की गवाह हैं। इन इमारतों को फ्रांसीसी और इस्लामी शैली का अनोखा मिश्रण खास बनाता है। शौकत महल के सफेद संगमरमर के खंभे और नाजुक नक्काशी आपको पेरिस की किसी मशहूर इमारत की याद दिला सकती हैं। जबकि सदर मंजिल की लाल दीवारें नवाबी रुतबे की कहानी बयां करती हैं।
नवाब शाहजहां बेगम ने इसे दरबार हॉल के रूप में इस्तेमाल किया था। आज भी ये इमारतें भोपाल की शान बढ़ाती हैं। इनके बीच टहलते हुए आप खुद को किसी शाही दौर में खो जाता सा महसूस करते हैं। बता दें कि हाल ही में इसे एक शानदार आलीशान होटल के रूप में तब्दील किया गया है, इससे पहले यहां भोपाल नगर निगम का कार्यालय भी संचालित किया जाता था।

मोती मस्जिद, छोटा, लेकिन दिलकश मोती

मोती मस्जिद भले ही ताज-उल-मसाजिद जितनी विशाल नहीं है लेकिन, इसकी सुंदरता उससे कमतर नहीं आंकी जा सकती। इसे सिकंदर जहां बेगम ने बनवाया था और इसका नाम दिल्ली की जामा मस्जिद से प्रेरित है। छोटी-छोटी गुंबद, सफेद संगमरमर और शांत माहौल इसे खास बनाते हैं। यह मस्जिद भोपाल की सादगी और शाहीपन का प्रतीक है। विश्व धरोहर दिवस पर यहां की शांति में कुछ पल जरूर बिताएं और इतिहास की गहराई को महसूस करें।

भोपाल के ताज महल की अनूठी कहानी

आपने आगरा के ताज महल के बारे में तो सुना ही होगा, लेकिन भोपाल का ताज महल भी खूब कमाल का है। नवाब शाहजहां बेगम ने इसे अपने निवास के रूप में बनवाया था। 120 कमरों वाला यह महल अपनी इस्लामी वास्तुकला और भव्यता के लिए जाना जाता है। हालांकि समय के साथ यह कुछ खंडहर में तब्दील हो गया है, लेकिन अब इसे एक हेरिटेज होटल की शक्ल देने की योजना है। इसकी दीवारों में बसी नवाबी कहानियां सुनेंगे तो आप हैरान हो जाएंगे।

क्यों है यह सब खास?

भोपाल की ये इमारतें सिर्फ पत्थर और गारे की संरचनाएं नहीं हैं, ये समय की सैर कराने वाली कहानियां सुनाते हेरिटेज साइट्स हैं। नवाबी शान, बेगमों की हिम्मत और कारीगरी की कला इनमें बसती है। विश्व धरोहर दिवस हमें याद दिलाता है कि इन धरोहरों को संरक्षित करना हमारी जिम्मेदारी है। भोपाल की ये इमारतें हमें अपनी जड़ों से जोड़ती हैं और बताती हैं कि हमारा अतीत कितना समृद्ध था।

इस विश्व धरोहर दिवस पर क्या करें?

-1. हेरिटेज वॉक में शामिल हों

भोपाल में कई हेरिटेज वॉक आयोजित की जाती हैं, जो आपको इन इमारतों की कहानियों से रु-ब-रू कराते हैं।

-2. फोटोग्राफी का जादू

इन खूबसूरत इमारतों की तस्वीरें खींचें और सोशल मीडिया पर साझा करें, ताकि और लोग इनके बारे में जानें।

-3. इतिहास को जानें

स्थानीय गाइड्स से इन इमारतों की कहानियां सुनें और भोपाल की नवाबी विरासत को समझें।

-4. इनके संरक्षण में योगदान दें

छोटे-छोटे प्रयासों से, जैसे साफ-सफाई या जागरुकता फैलाकर, इन धरोहरों को बचाने में मदद करें।

भोपाल की इमारतें सिर्फ धरोहर नहीं जीवंत इतिहास हैं

भोपाल की धरोहरें सिर्फ इमारतें नहीं हैं, बल्कि एक जीवंत इतिहास हैं, जो हमें गर्व से भर देती हैं। इस विश्व धरोहर दिवस पर आइए, इस खजाने को न केवल देखें, बल्कि, संजोएं और अगली पीढ़ियों तक पहुंचाएं। तो देर किस बात की? बैग पैक करें, भोपाल की गलियों में खो जाएं और इन इमारतों की कहानियों में डूब जाएं। क्योंकि भोपाल का हर कोना कहता है- ‘आओ, मेरी कहानी सुनो!’

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