बता दें कि यह महिला हैं बीकानेर जिले के पांचू ब्लॉक के पारवा गांव की रहने वाली सुमित्रा सेन, जो वर्तमान में ग्रामीण महिलाओं के लिए आत्मनिर्भरता की मिसाल बन चुकी हैं। सुमित्रा देवी ने प्रधानमंत्री को अपने हाथों से बनी लकड़ी की बैलगाड़ी का मॉडल भेंट किया, जो उनके आत्मविश्वास, मेहनत और प्रतिभा का प्रतीक है।
वे साल 2018 में राजस्थान सरकार की राजीविका योजना के अंतर्गत ‘माजीसा स्वयं सहायता समूह’ से जुड़ीं। उस समय उनकी आर्थिक स्थिति बेहद खराब थी और मासिक आय मात्र 400 से 500 रुपये के बीच थी।

ऐसे बनाई पहचान
स्वयं सहायता समूह से जुड़ने के बाद सुमित्रा ने 50,000 रुपये और फिर ‘एकता शक्ति क्लस्टर लेवल फेडरेशन, पांचू’ से एक लाख रुपये का ऋण लेकर सिलाई मशीन खरीदी। इसके बाद उन्होंने बैग, पर्स और लकड़ी की कलात्मक वस्तुएं बनानी शुरू कीं। साल 2022 में बीकानेर के ग्रामीण हाट में स्टॉल मिलने के बाद उनके उत्पादों को बड़ा मंच मिला और उन्होंने शहरी बाजार में भी कदम रखा।
अब महीने में कमाती हैं हजारों रुपये
-सुमित्रा एक महीने में करीब 25 हजार रुपये कमा लेती हैं
-पूरे प्रदेश से उनके पास ऑनलाइन ऑर्डर आते हैं
-आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनी सुमित्रा गांव की महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं
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सिलाई मशीन से बदली जिंदगी
सुमित्रा ने एक सिलाई मशीन खरीदी और अपने हाथ के हुनर से बैग, पर्स और अन्य हस्तनिर्मित वस्तुएं बनानी शुरू की। साथ ही उन्हें लकड़ी की कलात्मक वस्तुएं बनाने में भी विशेष दक्षता है। साल 2022 में जब उन्हें ग्रामीण हाट बीकानेर में एक स्टॉल आवंटित हुआ, तो उनके हुनर और मेहनत को वह बाजार मंच मिला, जिसका उन्हें इंतजार था।