Rajasthan: खाद गोदाम पर कृषि विभाग का छापा, 377 बोरी यूरिया जब्त, कालाबाजारी का एक और मामला आया सामने
राजस्थान में इन दिनों मंत्री किरोड़ी लाल मीणा की छापेमारी के बाद खाद और बीज की कालाबाजारी करने वालों में हड़कंप मचा है। इधर बीकानेर में कृषि विभाग की छापेमारी में 377 बोरी यूरिया जब्त की गई है।
बीकानेर। उर्वरक की कमी के चलते प्रदेश भर के किसान परेशान हैं। दूसरी तरफ डिमांड के मुताबिक सरकार की तरफ से किसानों को खाद उपलब्धता नहीं करवाई जा रही है। इसका सीधा फायदा खाद-बीज माफिया उठा रहा है। किसान अपने खेत में फसल को खाद समय पर देने के लिए भटकता रहता है। ऐसे में किसान नकली खाद बेचने वालों के झांसे में आ रहे हैं। दूसरी तरफ अब खाद की कालाबाजारी का मामला सामने आया है।
दरअसल, बीकानेर जिले में किसानों को वर्तमान खरीफ सीजन के लिए करीब 1 लाख मीट्रिक टन खाद की आवश्यकता है। इसके मुकाबले महज 45 हजार मीट्रिक टन ही खाद उपलब्ध कराई गई। इसमें से वितरण के बाद किसान तक केवल 22 हजार मीट्रिक टन ही खाद पहुंची।
377 बोरी यूरिया का अवैध भंडारण
इस बीच खाद का अवैध भंडारण कर कालाबाजारी का मामला सामने आया है। कृषि विभाग के अधिकारियों ने शुक्रवार को बज्जू की अनाज मंडी में अवैध रूप से भंडारित यूरिया के 377 थैले जब्त किए।
जिले में खरीफ की फसल के लिए उर्वरक की उपलब्धता-
आंकड़े मीट्रिक टन में।
यहां हुई छापेमारी
जिला विस्तार अधिकारी कृषि डॉ. रामकिशोर मेहरा ने बज्जू नई अनाज मण्डी का निरीक्षण किया। इस दौरान दुकान नंबर 22 अरिहन्त ट्रेडिंग कपनी के गोदाम में 377 कट्टे यूरिया के बिना अनुज्ञा पत्र के रखे मिले।कृषि अधिकारी की जांच में सामने आया कि यह दुकान गौतम चन्द भूरा नामक व्यापारी की है। व्यापारी को मौके पर बुलाकर खाद को जब्त करने की कार्रवाई की गई।
कार्रवाई के दौरान कृषि पर्यवेक्षक प्रमोद कुमार व सुधीर कुमार साथ रहे। कृषि अधिकारी मेहरा ने बताया कि अनाज मंडियों में खाद का अवैध भंडारण की शिकायतें मिल रही थी। इस पर बज्जू मण्डी का निरीक्षण किया गया।
नकली खाद माफिया के चंगुल में किसान
किसानों ने बताया कि मौजूदा समय में जिले में खाद की कमी से किसान जूझ रहे हैं। ऐसे में खाद की काला बाजारी करने वाले व्यापारी किसानों की जेब पर डाका डाल रहे हैं। दूसरी तरफ नकली खाद माफिया भी ऐसे मौकों का फायदा उठाते हैं। उर्वरकों की कमी के चलते किसान कई बार नकली खाद लेकर चले आते हैं, जिसका सीधा असर उनकी फसलों पर पड़ता है।