हादसे के बाद अफरा-तफरी मच गई। दोनों घायलों को तत्काल साथी मजदूरों की मदद से बाहर निकालकर सिस हॉस्पिटल लाया गया। जहां दोनों की हालत गंभीर बनी हुई है। अस्पताल में
डॉक्टरों ने बताया कि गर्म डस्ट में गिरने के कारण दोनों के शरीर का अधिकांश भाग जल गया है। इलाज जारी है और डॉक्टरों की टीम उनकी निगरानी में जुटी हुई है। हादसे के बाद मजदूर संगठनों और स्थानीय नागरिकों में भारी आक्रोश देखा गया। मजदूर नेताओं ने आरोप लगाया कि प्लांट प्रबंधन श्रमिकों की सुरक्षा को लेकर लगातार लापरवाही बरत रहा है। उन्होंने मांग की कि श्रम विभाग व जिला प्रशासन इस घटना की निष्पक्ष जांच कराए और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करे।
बिना सुरक्षा इंतजामके करवा रहे थे काम
प्रत्यक्षदर्शी कर्मचारी राजू निषाद ने बताया कि हादसा उस समय हुआ जब दोनों ऊपरी जर्जर टीन शेड की मरमत के दौरान कार्यरत थे। टीन शेड की स्थिति पहले से ही खराब थी, और बिना किसी सुरक्षा इंतजाम के ऊपर चढ़ना उनके लिए घातक साबित हुआ। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि प्लांट प्रबंधन ने उन्हें न तो सेटी बेल्ट उपलब्ध कराई थी और न ही गर्म धूल भरे क्षेत्र में काम करने के लिए आवश्यक सुरक्षात्मक पोशाक।
6 माह पहले कुसुम प्लांट में हुई थी 4 की मौत
रामबोड़ में ही स्थित कुसुम स्मेल्टर प्राइवेट लिमिटेड में 9 जनवरी 2025 को भी प्लांट का साइलो गिरा था। राखड़ से भरे साइलो में दबकर इंजीनियर जयंत साहू, सीनियर फीटर अवधेश कश्यप, दो हेल्पर प्रकाश यादव और मनोज धृतलहरे समेत 4 लोगों की मौत हो गई थी।